बेटो से नही बहू से चलता है वंश
अखिल भारतीय सांस्कृतिक संस्थान मुम्बई द्वारा नाटक के मध्यम से दिया सन्देश
यमुनानगर । अखिल भारतीय सांस्कृतिक संस्थान मुम्बई के नाटक दल के द्वारा यमुनानगर के माडल टाऊन स्थित नेहरू पार्क के ठीक सामने स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत एवं पर्यावरण संरक्षण विषय पर नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया जिसे आसपास से गुजरने वाले राहगीरों ने देखा। इसके बाद इसी दल के द्वारा जगाधरी के महाराजा अग्रसैन प्रबंध एवं तकनीकी संस्थान के प्रांगण में शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक दो नाटकों का मंचन किया गया। पहले नाटक का शीर्षक ‘ब्लैक आऊट’ था। जिसमें कन्या भू्रण हत्या जैसे घृणित पाप के परिणामों को दर्शाते हुए बताया गया कि यदि किसी घर और समाज में बेटी नहीं होती तो किस प्रकार से वह घर और समाज अनेक प्रकार की खुशियों और सृमद्धि से वंचित हो जाता है।
कौन कहता है बेटों से वंश चलता है वंश तो चलता है बहु से जब बहु ही नही होगी तो वंश कहा से चलेंगा यही एक सन्देश देने की कोशिश की है मुंबई से आये अखिल भारतीय सास्कृतिक सस्थान के कलाकारों ने ब्लैकआउट और पति चाहिये दो नाटको का मंचन किया और हरियाणा में पहली बार अपनी प्रस्तुति दी जिसे देखने के लिये जुटी दर्शकों की भीड़ ने काफी पसंद किया और सराह लघु नाटिका की प्रस्तुति ऐसी थी की एक बार तो कलाकारों के अभिनय को देखकर लोग भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों के बारे सोच भी नही सकते।
जी हा हम बात कर रहे है मुंबई से आई एक टीम की जिसने आज हरियाणा की धरती पर यमुनानगर में पहली बार दो लघु नाटकों का मंचन किया किया ब्लैकआउट और पति चाहिये हास्य नाटक की प्रस्तुति की जिसमे आज के समय में हरियाणा में गिरते लिग अनुपात की बढ़ाने के लिये कैसे इस समाज के लोगो को जगरूक करे ये बताया कि आज एक औरत ही औरत की दुशमन होती है कैसे वो नही चाहती की उसकी कोख से लड़का ही जन्म ले लड़की नही वही नाटक में पिता की चाहत होती है कि उसके दो लड़के है तो तीसरी लड़की हो पर तीसरा जब लड़का हो जाता है तो वो सोच में पढ़ जाता है कि उसका वंश आगे कैसे चलेगा इस सोच को लेकर वो परेशान रहता है और उसके बुढ़ापे तक उसके किसी बेटे की शादी नही होती कई तरह के जतन पर शादी न होने पर उसकी उम्मीद टूट जाती है तो आखिर में उसका दोस्त उसे एक लड़की लाकर देता है जिससे उसकी खुशी का ठिकाना नही रहता और वो मर जाता है यही कहता हुआ ये बेटी चलायेगी मेरा वंश।
वही दूसरी लघु नाटक में पति चाहिये को एक हास्य वयंग के रूप में प्रसूत किया गया जिसमें एक परिवार की कहानी दिखाई गई जिसमें एक लडक़ी होती है जिसे अपने लिये पति चाहिये होता है इस कड़ी को कलाकारो ने मिलकर धागे में पिराने की कोशिश की है 25 मिनट के इस नाटक ने एक मिनट के लिये भी पलको को झपकने नही दिया नाटक का हर सीन हसी दे रहा था जिसे देखकर पता ही नही लगा की कब 25 मिनट खत्म हो गये पता ही नही पर लड़की को उसका पति नही मिला उसकी तलाश आखिर तक जारी रही और इसी सवाल के साथ नाटक खत्म हो गया कि शायद आपके पास कोई ऐसा लड़का हो जो उसका पति बन सके।
सस्था के सचालक राजेन्द्र तिवारी ने बताया की 26 साल से लेखक एवं निर्देशक की भूमिका निभा रहे है जिनके जरिये आज शिक्षा प्राप्त कर कई कलाकर फिल्मों व धारावाहिकों में काम कर रहे है पुरे देश व प्रदेश में वो अब तक आठ सौ से ज्यादा नाटक व 2500 से अधिक नुकड़ नाटक करा चुके है उनकी कोशिश होती है कि समाज की बुराई को जितनी आसानी से वो नाटक के माध्यम से लोगो तक पहुचा सके ताकि लोग उसे देखे और पसन्द भी करे ताकि देश में फैल रही बुराइयों को दूर किया जा सके हरियाणा में वो पहली बार आये है और इन दो दिन में जो समान उन्हें मिला उसके वो हमेशा आभारी रहेंगे और बार बार इस धरती पर आना चाहेंगे।
सभी मंचनों के द्वौरान मुख्य अतिथि के रूप में सिविल अस्पताल यमुनानगर के चिक्तिसा अधीक्षक डा. विजय दहिया उपस्थित थे। उन्हीं के प्रयासों से यह नाट्य दल यमुनानगर पहुंचा है। डा. विजय दहिया ने मौके पर कहा कि नाटकों के माध्यम से जनहित के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य प्राचीन समय से ही चलता रहा है। आज भी अनेक प्रकार की जो सामाजिक समस्याएं हैं उनके खिलाफ जागरूकता बडी ही सहजता से नाटकों के मंचन से हम जन-जन तक पहुचा सकते हैं और यही प्रयोग उन्होंने इन नाटकों के माध्यम से समाज में किया जोकि पूर्णत: सफल रहा है। इन मंचनों में विशेष सहयोग देने वाले समाज सेवी और डीपीएस के प्रबंधक राम निवास गर्ग ने कहा कि नाट्य विद्या हमारी पौराणिक संस्कृति है। जिस प्रकार से इस दल ने सामाजिक समस्याओं के कारण और समाधानों का मंचन किया है वह प्रशंसनीय है। इन नाटकों के मंचन में पर्यावरण, मित्र फाऊडेशन के अध्यक्ष चिराग सिंघल, डा. उदय भान सिंह, दिनेश गर्ग, पारस अरोड़ा, शक्ति अरोड़ा, विनय थापर व अन्य ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्यातिथि डा. दहिया ने महाराजा अग्रसैन शिक्षण संस्थाओं की प्रबंध समिति व संस्थान के निदेशक डा. नीरज गर्ग का आभार व्यक्त किया तथा नाटकों के कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।