यमुनानगर, (विनोद धीमान/नरेंद्र बक्शी) ब्रेन स्ट्रोक के नवीनतम उपचार विकल्पों के बारे में शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए लिवासा अस्पताल मोहाली में न्यूरोसर्जरी और न्यूरो इंटरवेंशन के डायरेक्टर डॉ. विनीत सग्गर ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक दुनिया भर में नई महामारी के रूप में उभर रहा है, जिसमें हर साल भारत भर में 1.5 से 2 मिलियन नए ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आ रहे हैं।
"वास्तविक संख्या अधिक होना तय है, क्योंकि इनमें से कई रोगी कभी भी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक नहीं पहुंचते हैं। भारत में हर दिन लगभग 3000-4000 ब्रेन स्ट्रोक होते हैं और जिसमें 2% से 3% रोगियों को ही उपचार मिल पाता है।
उन्होंने बताया कि वर्ल्डवाइड प्रति वर्ष 100,000 की जनसंख्या पर ब्रेन स्ट्रोक की दर 60-100 है, जबकि भारत में यह प्रति वर्ष 145-145 मामलों के करीब है । वैश्विक स्तर पर ब्रेन स्ट्रोक के कुल रोगियों में 60 प्रतिशत भारत में हैं।
डॉ. सग्गर ने आगे बताया कि भारत में बढ़ती घटनाओं का कारण बीमारी और रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरूकता की कमी है। ब्रेन स्ट्रोक सालाना एड्स, तपेदिक और मलेरिया के कारण होने वाली मौतों की तुलना में अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं और फिर भी यह एक साइलेंट महामारी बनी हुई है।
सलाहकार न्यूरोलॉजी प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि अब नई तकनीक मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से ब्रेन स्ट्रोक रोगियों का इलाज चुनिंदा मामलों में 24 घंटे तक किया जा सकता है। इस तकनीक में क्लॉट को या तो एस्पिरेटेड किया जाता है या दिमाग को खोले बिना स्टेंट की मदद से दिमाग से बाहर निकाला जाता है।
डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा, " ब्रेन स्ट्रोक में समय बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रेन स्ट्रोक के बाद हर मिनट, 1.90 मिलियन मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। इसलिए, रोगियों को जल्द से जल्द निकटतम उपचार केंद्र में पहुंचाया जाना चाहिए। अस्पताल में व्यापक ब्रेन स्ट्रोक देखभाल के लिए, आपातकालीन चिकित्सकों, न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरो-रेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, एनेस्थेटिस्ट और क्रिटिकल केयर चिकित्सकों की एक बहु-विषयक टीम जरूरी है।
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