यह कैसी लाडो
बाल विवाह कानून अपराध है इसके लिए सविंधान में
सख्त सजा का प्रवाधान भी है मगर हरियाणा के यमुनानगर में यह सब सिर्फ कानून की
किताबो में ही दबकर रह गया है इसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब एक
13-14 साल की बच्ची का विवाह उसी की उम्र के एक युवक से की जा रही थी मगर ऐन मौके
पर पहुँची पुलिस की खबर लगते ही बारात बीच रास्ते से ही फरार हो गई और अधिकारियो
नें इस गैरकानूनी शादी को बीच में ही रूकवाकर कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है।
यमुनानगर के गांव सुग निवासी मामचंद ने
अपनी लाडली का नाम लाडो तो रख दिया मगर वह अपनी बेटी से कितना लाड करते है इस का
अंदाजा इस बात से लगा लीजिये कि उसने अपनी बेटी की तेरह चौदह साल की कच्ची उम्र में
ही शादी रचा डाली। लाडो की शादी उत्तरप्रदेश के सहारनपुर इलाके के गांव निराली के
एक युवक के साथ की जा रही थी, बारात के स्वागत की सभी तैयारिया हो चुकी थी, परिवार
के लोग बेसब्री से दूल्हे एंव बारात का इंतजार कर रहे थे मगर उनसे पहले शादी में पहुँच
गई पुलिस और विवाह समारौह में भगदड़ मच गई किसी ने बारात को फोन पर पुलिस की सूचना
दे दी और बारात बीच रास्ते से ही फरार हो गई। हांलाकि पकड़े जाने के बाद लाडो के
पिता इन सबके पीछे गरीबी एंव मजबूरी को जिम्मेदार ठहरा रहा है।
लाडो की उम्र का कोई ठोस अधार नही मिला क्यों कि ना तो उस का जन्म
प्रमाण पत्र बनाया गया था और ना ही उसे कभी स्कूल भेजा गया। जिला बाल प्रोटेक्शन
आफिसर ने भी लाडो से बातचीत की और उससे इस शादी की और उसकी उम्र से जुड़े कई
चौंकाने वाले तथ्य हासिल किये जिसके बाद रेड पार्टी इस नतीजे पर पहुँची की अगर वह
आने में देर कर देते तो बाल विवाह के नाम पर एक और नाबालिग की जिंदगी तबाह हो
जाती।
लाडो के मामले में सब से बड़ी कमी जो निकल कर सामने आई है वह है
गरीबी, रेड पार्टी ने शादी तो रूकवा दी मगर कार्वाई के नाम पर मामला दर्ज कर कोर्ट
के अगले निर्देशो तक छोड़ दिया है ऐसे में पुलिस द्वारा किसी को गिरफ्तार ना करना
कहां तक जायज है। सावाल पैदा होते है कि क्या किसी को अपनी गरीबी को मजबूरी का नाम
देकर एक इंसान की जिंदगी बर्बाद करने की छूट मिल जाती है अगर नही तो लाडो के मामले
में कोई गिरफ्तारी क्यो नही की गई है।
हरदयाल, पुलिस अधिकारी।
विनोद धीमान सिटी न्यूज़ युमना नगर
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