Tuesday, 28 February 2012

फैसला चाहिए आन द स्पॉट CITY NEWS YNR



                                       फैसला चाहिए आन द स्पॉट 
पीड़ित परिजनों के साथ शहर के लोगों ने भी अधिकारियों से मांगा जवाब 

 हादसे के बाद पहली बार सभी पक्ष एक साथ अपने-अपने ब्यान दर्ज कराने पहुंचे। लघु सचिवालय में इंसाफ मिलने पहुंचे मृत युवकों के परिजन कभी इस अधिकारी तो कभी उस अधिकारी के कार्यालय में धक्के खाते रहे। छह घंटे तक चली इस कार्रवाई में जहां सभी ने एसडीएम के समक्ष अपने-अपने ब्यान दर्ज कराए। वहीं, मामले का कोई भी हल न मिलने पर मृत युवकों के परिजनों ने प्रशासन को 24 घंटे का समय देते हुए मंगलवार की सुबह 11 बजे तक कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान आरोपी पुलिस कर्मी पर मामला दर्ज न होने पर परिजनों व शहर के लोगों ने खुद ही आगामी कार्रवाई करने की चेतावनी तक दे डाली।

लघुसचिवालय में 11 बजे का समय था, दोनों युवकों के परिजन एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अन्य पक्षों की बांट में बैठ गए। एसडीएम दवेंद्र कौशिक  दोनों युवकों के परिजनों में भास्कर के पिता विरेंद्र, बहन कविता और सचिन के पिता ओमप्रकाश व गड़वाल सभा के भारतभूषण व ललीत शर्मा  से बातचीत जारी थी। समय की घड़ी जैसे ही 11 बजकर 20 मिनट पर पहुंची, तो लघुसचिवालय में हलचल बढ़ चली। देखते ही देखते लघुसचिवालय इस मामले में कुछ संस्थाओं के दर्जनों लोग भी इंसाफ की मांग को लेकर पहुंचने लगे। जिनमें आर्ट आॅफ लिविंग की सदस्य जितेंद्र चढ़ा, अंजू गांधी, राजेश गढ़, डाक्टर ईश चढ़ा, अनू साहनी, कमलदीप, सेवा भारती की प्रवीण भाटिया, मनमोहन समेत दर्जनों लोग सीधे-सीधे एसडीएम कार्यालय में दाखिल हो गए। जहां पहुंचकर उन्होंने मामले से जुडेÞ प्रश्नों के तीर एसडीएम समक्ष छोड़ दिए। इस पर एसडीएम देवेंद्र कौशिक ने जांच में दखल न दिए जाने की बात कहीं। करीबन 15-20 मिनट के एसडीएम व उक्त लोगों के बीच हुए वार्तालाप में कई प्रश्न ऐसे उठे जिनका जवाब एसडीएम नहीं दे सकें। यहां तक के लोगों के पुछने पर जोगेंद्र सिंह कहा है? इस पर एसडीएम द्वारा  जवाब देते हुए कहा गया कि कमेटी की बैठक की सूचना उन्हें दे दी गई थी, किंतु बुलाए जाने का अधिकार मेरे पास नहीं है। 20 मिनट के इस वार्तालाप से असहमती जताते हुए, उक्त विभिन्न संस्थाओं के लोग सीधे-सीधे डीसी कार्यालय की ओर रुख कर गए। एक ओर जहां एसडीएम कार्यालय में पीड़ित परिवारों समेत कमेटी सदस्यों की बयानबाजी कार्रवाई की जा रही थी। तो दूसरी ओर उक्त विभिन्न संस्थाओं के लोग डीसी कार्यालय में 11:30 बजे बैठ गए। उन्होंने वहीं मामले से जुडेÞ प्रश्नों चिन्ह का चिट्टा डीसी समक्ष रख दिया। जिस पर डीसी अशोक सांगवान ने ‘इंक्वायरी हो रही है’ यह बात कहीं। जिस पर सीधे-सीधे उक्त लोगों द्वारा  प्रश्न किया गया कि इंक्वायरी की तय समय सीमा नहीं है, न ही आरोपी के खिलाफ सीधे-सीधे कार्रवाई की जा रही है। इस पर डीसी अशोक सांगवान द्वारा उनकी मांग पर इंक्वायरी का समय निर्धारित करने का आश्वासन देकर लोगों के आक्रोश को शांत करना चाहा।  तो साथ ही मामला दर्ज कराए जाने के लिए डीसी से उन्हें एसपी से मिलने को कहा। यह बात सुनकर असंतुष्ट होकर इन्हीं लोगों का आक्रोश 12:00 बजे डीसी कार्यालय के बाहर नारेबाजी के रुप में निकला। यहां से सीधे-सीधे लघुसचिवालय की सीढ़ियां चढ़ दर्जनों लोगों द्वारा एसपी कार्यालय में 12:05 मिनट पर एसपी समक्ष भी इन्हीं प्रश्नों को रखा।
पूरे डेढ़ घंटे एसपी कार्यालय में रही गहमा-गहमी
समय था 12:05 बजे, एसपी कार्यालय में प्रवेश करने के बाद एससपी मितेश जैन के समझ बैठे इन लोगों में डा. ईश चढ़ा द्वारा एसपी से जोगिंद्र सिंह के खिलाफ सीधे-सीधे कार्रवाई न किए जाने का कारण पुछा। एसपी ने इस पर जवाब देते हुए कहा ‘दो अलग-अलग उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले की इंक्वायरी चल रही है’। डा. ईश चढ़ा ने जवाब सुनने से पूर्व ही एसपी से सावल किया कि आम लोगों के लिए व पुलिस के लिए अलग-अलग कानून है? इस पर एसपी ने कहा ‘नहीं’। लोगों ने सीधे-सीधे एसपी से कहा यदि कानून अलग नहीं तो फिर जोगिंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यो नहीं? इस पर उन्होंने थोड़े देर मौन रहकर जवाब दिया कि ‘जांच चल रही है।’ समय बढ़ चला था, घड़ी में 12:45 होने को थे। एसपी से सीधी-सीधी लोगों की बातचीत जारी थी, कि जिसमें गढ़वाल सभा के भारतभूषण ने कहा कि क्या अपने अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डीजीपी या सीएम की अनुमति की जरुरत है?  हमे बताएं हम लोग इंसाफ के लिए सीएम तक जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। इस पर एसपी मितेश जैन मौन साध गए।  यहां एसपी को मौन होता देख उक्त लोगों ने उन्हें 24 घंटे में मामले में ठोस कार्रवाई करने का अल्टीमेटम देते हुए कहां कि इसके बाद इंसाफ के लिए भुख हड़ताल पर बैठने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
एसपी कार्यालय में जहां पूरे डेढ़ घंटे उक्त वार्तालाप हुआ। तो वहीं कमेटी की बैठक एसडीएम कार्यालय में चल रही थी। जहां   सभी पक्षों के ब्यान लिए जा रहे थे, एसपी कार्यालय से वापस आते ही लोगों ने लघुसचिवालय की सीढ़ियों से उतरने के दौरान ही पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरु कर दी। यहीं रोष उन्होंने एसडीएम कार्यालय के बाहर भी जारी रखा। तो पीड़ित परिवारों के परिजनों के साथ ये लोग लघुसचिवालय में शाम पांच बजे तक डटे नजर आए। शाम पांच बजे जाकर सभी पक्षों की ब्यानबाजी संपन्न हो सकी।
मामले से जुडे प्रश्नों का बैंक था लोगों के पास
आर्ट आॅफ लिविंग की सदस्य जितेंद्र चढ़ा, अंजू गांधी, राजेश गढ़, डाक्टर ईश चढ़ा, अनू साहनी, कमलदीप, सेवा भारती की प्रवीण भाटिया, मनमोहन, गडवाल सभा के भारतभूषण, ललीत शर्मा समेत दर्जनों लोगों के पास मामले से जुडेÞ प्रश्नों को बैंक तैयार था। तीन पर्चो के इस प्रश्नों की लिस्ट के अलावा भी लोगों के जहन में उठे सवालों को उन्होंने एसडीएम दवेंद्र कौशिक, डीसी अशोक सांगवान व एसपी समक्ष रखा। जिनमें:-
- 12 दिन बीतने पर भी क्यों नहीं एफआईआर?
- झगड़े के बाद रेलवे ट्रेक से मिले दो युवकों के शवों के परिजनों के ब्यान लेने में 12 दिन का समय क्यों लगा?
- बच्चों को जबरन घर से उठा ले जाना और उनका मृत मिलना। यह कौन सा आॅफेंस है?
- पोस्टमार्टम की विडियों रिकार्डिंग क्यों नहीं?
- पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में दोनों युवकों के कई जगह फेक्चर कैसे?
किसने क्या दिए ब्यान
सरपंच सुरेश राणा ने एसडीएम समक्ष अपने ब्यान में बताया कि 14 फरवरी की सुबह बैंक कालोनी में झगड़ा हुआ था। जिसके लिए एसएचओ फर्कपुर व जोगिंद्र सिंह मौके पर पहुंचे थे। उसके बाद जोेगिंद्र सिंह भास्कर को अपने साथ ले गया था। वहीं, भास्कर के सामने रह रही मक्खन कौर ने अपने ब्यान में बताया कि जोगिंद्र सिंह भास्कर अपनी मोटरसाइकिल पर घर ले गया था। बैंक कालोनी की सुमित्रा गोसाई ने अपने ब्यानों में बताया कि जोगिंद्र सिंह ही भास्कर व सचिन को इक्ट्ठे एक मोटरसाइकिल पर लेकर गया था। वहीं, सचिन के परिवार की तरफ से अश्वनी व तरसेम ने अपने ब्यान में कहा कि भास्कर व सचिन को जोगिंद्र सिंह अपने साथ ले गया था। वहीं, भास्कर की बहन कविता गोसाई ने अपने ब्यान में कहा कि उसका भाई भास्कर घर मेें सोया हुआ था जोगिंद्र सिंह ने आकर उसके भाई को उठाया और जबरन अपने साथ ले गया। इसी बीच मुझे व मेरी मां को अपशब्द भी कहे।
क्या कहा जोगिंद्र सिंह ने
गांधीनगर चौंकी इंचार्ज जोगिंद्र सिंह ने एसडीएम देवेंद्र कौशिक को दिए ब्यान में कहा कि ‘मुझे किसी का फोन आया था कि बैंक कालोनी में झगड़ा हुआ है। मैं उसे देखने गया था’। इस पर एसडीएम द्वारा पूछे जाने पर किसका फोन आया था। कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने अपनी बात को पलटते हुए कहा कि कंट्रोल रूम से आया था। और मैं उन्हें अपने साथ नहीं ले गया था। भास्कर ने मुझसे सचिन के घर तक लिफ्ट मांगी थी। उसके बाद मैने उसे सचिन के घर छोड़ा और वहां से दोनों को लेकर आईटीआई छोड़ा। उसके बाद मैं गांधीनगर चौंकी चला गया। वहां से मेरी ड्यूटी वैलेंटाइन-डे पर लगा दी। वहां से मुझे फर्कपुर थाने बुला लिया गया, उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं। लेकिन शाम को मुझे दो लड़कों के ट्रेन से कटने की सूचना मिली और पता चला कि ये वहीं लड़के है, जिनको मैने मेडिकल कराने के लिए आईटीआई पर छोड़ा था। कहीं न कहीं दोनों लड़कों को चोट लगने की बात पुलिस कबूल रही है।









Friday, 24 February 2012

खुद का दामन मैला, दूसरों पर सख्ती CITY NEWS YNR




                     खुद का दामन मैला, दूसरों पर सख्ती
              अधिक्तर सरकारी स्कूलों में तय नियम-मापदंड नहीं पूरे

विनोद धीमान।
 आरटीई के तहत निजी स्कूलों पर मापदंडो को लागू किए जाने पर विभाग सख्त रवैया अपनाए हुए है। किंतु वि•ााग खुद अपने दामन में कई खामियां लिए हुए है। जी हां! अधिक्तर सरकारी स्कूल शिक्षा वि•ााग द्वारा तय निमयों-मापदंडों को पूरा नहीं करते है। ऐसे में आरटीई योजना का ढांचा खोखला लगने लगा है, तो वहीं, निजी स्कूलों की तर्ज सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने की डगर भी मुश्किल लगने लगी है।
गौरतलब है कि आरटीई यानि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार से संबंध विद्यार्थियों को शिक्षा देने का प्रावधान किया है। तो साथ ही, ऐसे बच्चों को  किसी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए सरकारी स्कूलों के अलावा निजी स्कूलों के लिए मापदंड तय कर उनकी पालना करने के निर्देश दिए गए। ऐसा न करने पर विभाग द्वारा एक ओर निजी स्कूलों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जा रहा है। तो दूसरी ओर सरकारी स्कूलों की ओर विभाग अनदेखा रवैया अपनाए हुए है। जिसे विभाग द्वारा तय मापदंडो की कसौटी पर खरे न उतरते जिले-भार के सैकड़ो सरकारी स्कूल खुद-ब-खुद बयान कर रहे है। जो हाल ही में विभाग द्वारा निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने की योजना को भी  धता बता रहे है।
जिले में स्कूलों की संख्या
प्राथमिक स्कूल- 638
मिडल स्कूल- 323
हाई स्कूल- 149
सीनियर सकेंडरी - 139
ये है नियम-मापदंड
- दो एकड़ जमीन पर ही हो सेकेंडरी स्कूल।
- स्कूलों में कमरों के लिए:-
लंबाई- 24 फिट
चौड़ाई- 18 फिट
ऊंचाई- 10 फिट
- कमरों में बैठने के  लिए बेंच की उचित व्यवस्था हो।
- स्कूल में कमरों के सामने 10 फिट चौडाÞ बरामदा हो।
- स्कूल में लाइब्रेरी रुम 48 बाई 18 साईज का हो।
- लाइब्रेरी में प्रतियोगिताओं की किताबें व समाचार पत्र हो।
- कंप्यूटर, सांस्कृतिक व आर्ट एंड क्लचर गतिविधियों के लिए अलग से कमरा हो।
- स्कूल में खेलने का प्रर्याप्त मैदान हो।
- आग बुझाने के लिए यंत्र हो।
- स्कूल की पांच फिट ऊंची चारदीवारी हो।
- स्कूली बच्चों व विष्यों के हिसाब से शिक्षक व सेवादार के पद भरे हो।
अधिक्तर नॉर्मस नहीं करते स्कूल पूरे
- जिनमें अधिक्तर स्कूलों में खेल के लिए मैदान उपलब्ध नहीं है। जिनमें माडल टाउन स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, वर्कशाप स्थित वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, जगाधरी स्थित वरिष्ठ माध्यममिक, पुरानी सब्जी मंडी स्थित व माडल कालोनी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, हमीदा स्थित राजकीय हाई स्कूल, चांदपुर स्थित राजकीय हाई स्कूल, गोबिंदपुरा स्थित राजकीय मिडल स्कूल, गोबिंदपुरी स्थित राजकीय मिडल स्कूल। आदि के अलावा जिले-भर में सैकड़ो ही ऐसे स्कूल है जहां खेलने को मैदान उपलब्ध नहीं है।
- सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या व विष्यों के मुताबिक शिक्षकों व हैडमास्टर की संख्या भी  पर्याप्त नहीं है। बता दें कि जिले के 20 हाई सकेंडरी  स्कूल बिना प्रिंसीपल के चल रहे है, तो वहीं, 30 हाई स्कूल बिना हैड मास्ट के चल रहे है। इसी प्रकार जिले के 320 स्कूल बिना हैडमास्ट के चल रहे है। वहीं, बच्चों की संख्या के मुताबिक जिले में 3120 शिक्षक होने चाहिए। किंतु मौजूदा समय में केवल 1800 शिक्षकों है। तो 1920 पद अभी  भी  रिक्त पड़े है।
- स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए अब भी  पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बेंचों का उचित प्रबंध न होने के कारण अधिक्तर स्कूलों में अब भी  टाट का सहारा लिया जाता है।
इसी प्रकार से अन्य कई नॉर्मस स्कूलों  में पूरे नहीं है। जिन्में अधिक्तर स्कूलों में लाईब्रेरी, अग्निश्मन यत्रं, कमरों की पर्याप्त लंबाई-चौड़ाई आदि तय मापदंडो के मुताबिक नहीं है।
वर्जन
यदि बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है तो सबसे पूर्व अध्यापकों की कमी को पूरा किया जाना चाहिए। यहीं नहीं, बच्चों के लिए यदि स्कूल के पास पर्याप्त मात्रा में ग्राउंड नहीं है। तो सरकार को चाहिए कि उसके आसपास खेलने के लिए मैदान की व्यवस्था की जाए।
प्रदीप सरीन, जिला प्रधान, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ।
वर्जन
विभाग की ओर से जिन स्कूलों में कमियां है, उन्हें पूरा करने के लिए साधन जुटाए जा रहे है। जल्द ही सभी  को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी सुविधा भी  मिल पाएगी। इसके लिए उच्चाधिकार्यो को सूचित किया जा चुका है।
जगजीत कौर, जिला शिक्षा अधिकारी।

Thursday, 23 February 2012

पानी मिलेगा विदाउट मीटर CITY NEWS YNR


  पानी मिलेगा विदाउट मीटर!
पानी के बिल के लिए फ्लैट रेट निर्धारि   

 सप्लाई योजना अब मीटर रीडिंग के फेर में न उल­ोगी और न ही मीटर रिडिंग कार्यो में विभाग को समय बरबाद करने की जरुरत पडेÞगी। अब उपभोक्ताओं को मीटर रिडिंग के आधार पर बने बिल का नहीं, बल्कि विभाग द्वारा तय किए गए फ्लैट रेट का भूगतान करना होगा। ऐसा ही कुछ निर्णय लेकर जनस्वास्थ्य एवं जलापूर्ति विभाग द्वारा यह योजना लागू कर दी गई है। इसमें घरेलु उपभोक्ताओं के लिए विभाग ने एक माह का बिल 61 रुपए, तो कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए एक हजार रुपए  प्रति माह फ्लैट रेट तय किया है। दोनों ही उपभोक्ताओं को अगामी बिलों के भूगतान इसी फ्लैट रेट पर करना होगा। 
गौरतलब है कि इससे पूर्व जनस्वास्थ्य एंव जलापूर्ति विभाग की ओर से पानी सप्लाई के कनेक्शन के लिए उभोक्ताओं को आवेदन करना होता था, जिसके बाद कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं को पानी इस्तेमाल की मीटर रिडिंग के हिसाब से बिल का भू गतान करना पड़ता था। किंतु अब ऐसा करने के स्थान पर नई योजना के तहत अब पानी कनेक्शन के लिए मीटर लगवाने की जरुरत नहीं है। कोई भी उपभोक्ता आसानी से सीधे विभागीय कार्यालय में कनेक्शन के लिए आवेदन कर योजना का ला•ा ले सकता है। जिसके बाद घरेलू उपभोक्ता को केवल उसके घर पर आने वाले हर तीसरे व चौथे माह में 61 रुपए  प्रति माह के हिसाब से बिल अदा करना होगा। वहीं, कमर्शियल उप•ोक्ता को एक हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से बिल आदा करना होगाशहर मेंसप्लाईकनेक्शन घरेलू - 26 हजार कमर्शियल - 450 इसलिए लिया किया फ्लैट रेट निर्धारित
वाटर सप्लाई योजना के तहत कई बार मीटर रिडिंग के लिए विभागीय कर्मियों को उपभोक्ताओं के घरों तक जाना होता था, तो इसी रिडिंग के आधार पर बिल बनाकर उपभोक्ताओं के भाजने का कार्य भा  किया जाता था। ऐसे में स्टॉफ की कमी के कारण यह कार्य काफी मशक्त भारा व समय की बरबादी न हो इसके लिएविभाग को घरेलु व कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए फ्लैट रेट तय करने का निर्णय लेना पड़ा। पहले बिल अदायगी के दो आभाप्शनपानी के बिल अदाइगी के लिए इससे पूर्व उपभोक्ताओं के पास दो आॅपशन प्रयुक्त थे। जो इस प्रकार है।:- पहले आभापशन में उपभोक्ता द्वारा अपने मकानों में लगवाएं गए मीटर से दूसरव तीसरे माह विभागीय कर्मचारी 
द्वारा रीडिंग ली जाती थी। इसी रिडिंग से पिछली रिडिंग के बीच के अंतर को तीन माह का पानी इस्तेमाल किया जाना माना जाता था। तो साथ ही, उपभाक्ताओं से मकान की लंबाई और चौड़ाई को ध्यान में रखते हुए प्रति एक हजार लीटर पानी पर सवा रुपए से चार रुपए तक का बिल लिया जाता था। इसके अलावा पानी के एक चौथाई हिस्से का सीवर में प्रयुक्त दिखाकर, उसका खर्च भी  बिल में जोड़ जाता था। - दूसरे आॅप्शन में विभागीय टीम आवेदनकर्ता के मकान का सर्वे करती थी। इस दौरान यह देखा जाता था कि उपभाक्ता के मकान में ताजा पानी की कितनी टूटियां व टायलेट हैं। इन उपभा क्ताओं में एक टूटी और एक टायलेट वाले को 25 रुपए और दो टूटियां और अधिक टायलेट वाले को 48 रुपए महीना बिल •ारना होता था। यह बन बिल का हिसाबवाटर सप्लाई योजना में विभाग द्वारा किए गए फेरबदल के मुताबिक घरेलु उप•ोक्ताओं से 61 रुपए बिल के रुप में लिए जाने है। जिसमें 48 रुपए पानी के लिए तो 12 रुपए सीवर के पानी की निकासी के लिए और एक रुपया प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रप में शामिल है। इसी प्रकार कमर्शियल उपभा क्ताओं सेविभाग ने फिक्स बिल योजना के तहत एक हजार रुपए बिल वसूलेगा। 

इस योजना से विभाग का भी  समय बचेगा और बिल में आने वाली शिकायतों से •ाी निजात मिल सकेंगी। वहीं, अवैध कनेक्शनों का दायरा भा  कम हो सकेंगा।
एके भारद्वाज, एसडीओ, जनस्वास्थ्य एंव जलापूर्ति विभाग।


Thursday, 16 February 2012

अनसेफ जिगर के टूकडे CITY NEWS YNR



                                                     अनसेफ जिगर के टूकडे
                                                  लगातार बढ़ रही बच्चों के लापता होने की वारदात
                                                   बीते वर्ष में हुई 13 वारदात, 12 अब भी अनसुल­ जी 
         विनोद धीमान
 यदि आप भी अपने जिगर के टूकड़ों को शहर में अकेला छोड़, उन्हें महफूज समझ रहे है। तो यह भूल आपके लिए व आपके जिगर के टूकड़ें दोनों के लिए भारी साबित हो सकती है। लगातार हो रही बच्चों के लापता व अपहरण की वारदातों को देखते हुए सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्विनसिटी में बच्चा चोर गिरोह सक्रिय है। तो ऐसे में अभिभावकों को जरा होशियार रहने की जरुरत है। अगल-अगल जगहों से संदिग्ध परिस्थितियों में व घर से लापता हुए बच्चों के ग्राफ पर नजर दौड़ाई जाए तो बीते साल में इस तरह की 13 वारदात हुई। वहीं मौजूद साल में भी यह क्रम जारी है। मौजूदा वर्ष के दो माह भी नहीं बीते है कि दो अपहरण की वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है। ऐसे में पुलिस प्रशासन भी इन वारदातों पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रहा है। इन मामलों में पुलिस कार्रवाई गायब हुए बच्चों के पोस्टर बनवा उन्हें थानों के बाहर लगवा देने भर तक सिमटी नजर आ रही है।
तीन साल में लापता बच्चों के 26 मामले
2012 - 02
2011 - 13
2010 - 11
बीते वर्ष के 13 मामलों में 12 अब भी अनसॉल्व
जिलें में साल 2011 में लापता हुए बच्चों के 13 मामले हुए। जिसमें से 12 अब भी अनसुलछे है। एक मामला सुल­ाा भी तो वहां भी गायब हुए बच्चें को सही सलामत घर पर नहीं पहुंचाया जा सका था। दशहरे के दिन घर से लापता हुए मुकुल का शव 14 दिन बाद पुलिस को कुरुक्षेत्र से बरामद हुआ। मामले में पुलिस ने तीन के खिलाफ मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया। बीते वर्ष पुलिस को बस इसी मामले में कामयाबी हासिल हो सकी, वह भी अपहरण हुए बच्चें के सही सलामत घर लौटने की वजह से अधुरी हुई साबित हुई। तो अभी हाल ही में आईटीआई के समीप से अगवा हुई चरणजीत कौर अपहरण के दो दिन बाद सकुशल घर लौट आई। चरणजीत को कौन अगवा कर ले गया था। इसका भी आज तक कुछ पता नहीं चल पाया हैं।

पुलिस प्रशासन का हर संभव प्रयास रहता है कि इस तरह की वारदातों पर अंकुश लगाया जा सके। किंतु कई मामलों में बच्चे खुद भी घर से परेशान होकर चले जाते है। ऐसे में उन्हें तलाश करने में समस्या आती है। अभी हाल ही में पुलिस द्वारा बच्ची के लापता होने का मामला सुलझाया है। बीते सालों के हुए ऐसे मामलों पर भी हर पहलु पर जांच की जा रही है।
फूल कुमार, डीएसपी हेडक्वाटर्र।

                                             ट्यूशन पढ़ने गए बच्चे का अपहरण!

जगाधरी वर्कशाप। गुरुवार देर शाम घर से ट्यूशन पढ़ने के लिए गए 14 वर्षीय लड़के को दो बाइक सवार नकाबपोश युवक अगवा कर अपने साथ ले गए। पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर उक्त मामले में कार्रवाई शुरु कर दी है। फिलहाल इस मामले में भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग सका है।
लक्ष्मी गार्डन निवासी मनोहर लाल ने बताया कि उसका बेटा विकास न्यू हैप्पी स्कूल में नौवी कक्षा में पढ़ता है। रोजाना की भांति वह गुरुवार को भी स्कूल से आने के बाद अपने दोस्त शुभम, साजन व मितेश के साथ घर से शिवपुरी कालोनी में ट्यूशन पढ़ने के लिए गया था। मनोहर ने बताया कि शाम को विकास व उसके दोस्त ट्यूशन पढ़कर वापस घर लौट रहे थे। रास्ते में शिवपुरी कोलानी में दो नकाबपोश युवकों के बुलाए जाने पर विकास उनके समीप चला गया और देखते ही देखते वह दोनों लोग विकास को अपने साथ बाइक पर बैठाकर ले गए। उन्होंने बताया कि इस बात की सूचना परिवार वालों को विकास के दोस्तों ने घर पर दी। विकास के गायब होने की खबर सुनकर परिवार वालों ने विकास की तलाश आसपास के क्षेत्र में की। किंतु देर रात तक उसके न मिलने पर, उन्होंने इसी शिकायत पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिवार वालों व विकास के दोस्तों से पूछताछ कर उक्त बाइक सवार लोगों की तलाश के लिए टीमें बनाकर संबंधित क्षेत्र में छानबीन की। किंतु देर रात तक जारी रही पुलिस कार्रवाई में उक्त लोगों का कोई सुराग हाथ नहीं लग सका। वहीं, शुक्रवार को भी इस मामले में पुलिस के हाथ ज्यों के त्यों खाली थे। पुलिस कार्रवाई में विकास का कोई सुराग हाथ न लग पाने से परिजनों की चिंता गहराने लगी है। घर पर विकास की मां सुमन का रो रोकर बुरा हाल हो गया है। बार-बार मां अपने बेटे विकास की तसवीर हाथ में लेकर रोने पर विवश है।
कोई अपना तो नहीं ले गया?
पुलिस जांच में विकास के साथ ट्यूशन पढ़कर लौट रहे तीनों दोस्तों शुभम, साजन व मितेश से पूछताछ में उन्होंने बताया कि विकास को ले गए उक्त बाइक सवार युवकों ने विकास को उसके नाम से ही बुलाया था। जिस पर विकास ने भी उनमें से एक युवक को ‘आसू’ बुलाकर अपने आने की बात कही थी। इस पर पुलिस व परिजनों द्वारा संदेह जताया जाने लगा है कि विकास को ले जाने में कोई अपना ही तो नहीं था?
तीन बहनों का था एकलौता भाई
विकास तीन बहनों का इक्लोता भाई है, परिवार में विकास सबसे छोटा है। जिसके लापता होने के बाद से उसकी रजी, सोनिया व मोनिका भी गमगीन माहौल में है। तीनों बहने अपने छोटे भाई के कहीं चले जाने पर आंसुआ से नम है।
वर्जन
देर रात को शिकायत मिलने पर उक्त गायब हुए लड़के की तलाश संबंधित क्षेत्र में की गई थी। मामले में परिजनों व उसके दोस्तों से भी पुछताछ की गई। किंतु फिलहाल कोई सुराग नहीं लग सका है, अभी जांच जारी है।
प्रमोद कुमार, फर्कपुर थाना प्रभारी।