खुद का दामन मैला, दूसरों पर सख्ती
अधिक्तर सरकारी स्कूलों में तय नियम-मापदंड नहीं पूरे
विनोद धीमान।
आरटीई के तहत निजी स्कूलों पर मापदंडो को लागू किए जाने पर विभाग सख्त रवैया अपनाए हुए है। किंतु वि•ााग खुद अपने दामन में कई खामियां लिए हुए है। जी हां! अधिक्तर सरकारी स्कूल शिक्षा वि•ााग द्वारा तय निमयों-मापदंडों को पूरा नहीं करते है। ऐसे में आरटीई योजना का ढांचा खोखला लगने लगा है, तो वहीं, निजी स्कूलों की तर्ज सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने की डगर भी मुश्किल लगने लगी है।
गौरतलब है कि आरटीई यानि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार से संबंध विद्यार्थियों को शिक्षा देने का प्रावधान किया है। तो साथ ही, ऐसे बच्चों को किसी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए सरकारी स्कूलों के अलावा निजी स्कूलों के लिए मापदंड तय कर उनकी पालना करने के निर्देश दिए गए। ऐसा न करने पर विभाग द्वारा एक ओर निजी स्कूलों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जा रहा है। तो दूसरी ओर सरकारी स्कूलों की ओर विभाग अनदेखा रवैया अपनाए हुए है। जिसे विभाग द्वारा तय मापदंडो की कसौटी पर खरे न उतरते जिले-भार के सैकड़ो सरकारी स्कूल खुद-ब-खुद बयान कर रहे है। जो हाल ही में विभाग द्वारा निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने की योजना को भी धता बता रहे है।
जिले में स्कूलों की संख्या
प्राथमिक स्कूल- 638
मिडल स्कूल- 323
हाई स्कूल- 149
सीनियर सकेंडरी - 139
ये है नियम-मापदंड
- दो एकड़ जमीन पर ही हो सेकेंडरी स्कूल।
- स्कूलों में कमरों के लिए:-
लंबाई- 24 फिट
चौड़ाई- 18 फिट
ऊंचाई- 10 फिट
- कमरों में बैठने के लिए बेंच की उचित व्यवस्था हो।
- स्कूल में कमरों के सामने 10 फिट चौडाÞ बरामदा हो।
- स्कूल में लाइब्रेरी रुम 48 बाई 18 साईज का हो।
- लाइब्रेरी में प्रतियोगिताओं की किताबें व समाचार पत्र हो।
- कंप्यूटर, सांस्कृतिक व आर्ट एंड क्लचर गतिविधियों के लिए अलग से कमरा हो।
- स्कूल में खेलने का प्रर्याप्त मैदान हो।
- आग बुझाने के लिए यंत्र हो।
- स्कूल की पांच फिट ऊंची चारदीवारी हो।
- स्कूली बच्चों व विष्यों के हिसाब से शिक्षक व सेवादार के पद भरे हो।
अधिक्तर नॉर्मस नहीं करते स्कूल पूरे
- जिनमें अधिक्तर स्कूलों में खेल के लिए मैदान उपलब्ध नहीं है। जिनमें माडल टाउन स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, वर्कशाप स्थित वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, जगाधरी स्थित वरिष्ठ माध्यममिक, पुरानी सब्जी मंडी स्थित व माडल कालोनी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, हमीदा स्थित राजकीय हाई स्कूल, चांदपुर स्थित राजकीय हाई स्कूल, गोबिंदपुरा स्थित राजकीय मिडल स्कूल, गोबिंदपुरी स्थित राजकीय मिडल स्कूल। आदि के अलावा जिले-भर में सैकड़ो ही ऐसे स्कूल है जहां खेलने को मैदान उपलब्ध नहीं है।
- सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या व विष्यों के मुताबिक शिक्षकों व हैडमास्टर की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। बता दें कि जिले के 20 हाई सकेंडरी स्कूल बिना प्रिंसीपल के चल रहे है, तो वहीं, 30 हाई स्कूल बिना हैड मास्ट के चल रहे है। इसी प्रकार जिले के 320 स्कूल बिना हैडमास्ट के चल रहे है। वहीं, बच्चों की संख्या के मुताबिक जिले में 3120 शिक्षक होने चाहिए। किंतु मौजूदा समय में केवल 1800 शिक्षकों है। तो 1920 पद अभी भी रिक्त पड़े है।
- स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए अब भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बेंचों का उचित प्रबंध न होने के कारण अधिक्तर स्कूलों में अब भी टाट का सहारा लिया जाता है।
इसी प्रकार से अन्य कई नॉर्मस स्कूलों में पूरे नहीं है। जिन्में अधिक्तर स्कूलों में लाईब्रेरी, अग्निश्मन यत्रं, कमरों की पर्याप्त लंबाई-चौड़ाई आदि तय मापदंडो के मुताबिक नहीं है।
वर्जन
यदि बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है तो सबसे पूर्व अध्यापकों की कमी को पूरा किया जाना चाहिए। यहीं नहीं, बच्चों के लिए यदि स्कूल के पास पर्याप्त मात्रा में ग्राउंड नहीं है। तो सरकार को चाहिए कि उसके आसपास खेलने के लिए मैदान की व्यवस्था की जाए।
प्रदीप सरीन, जिला प्रधान, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ।
वर्जन
विभाग की ओर से जिन स्कूलों में कमियां है, उन्हें पूरा करने के लिए साधन जुटाए जा रहे है। जल्द ही सभी को अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी सुविधा भी मिल पाएगी। इसके लिए उच्चाधिकार्यो को सूचित किया जा चुका है।
जगजीत कौर, जिला शिक्षा अधिकारी।
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