पानी मिलेगा विदाउट मीटर!
पानी के बिल के लिए फ्लैट रेट निर्धारि
सप्लाई योजना अब मीटर रीडिंग के फेर में न उलोगी और न ही मीटर रिडिंग कार्यो में विभाग को समय बरबाद करने की जरुरत पडेÞगी। अब उपभोक्ताओं को मीटर रिडिंग के आधार पर बने बिल का नहीं, बल्कि विभाग द्वारा तय किए गए फ्लैट रेट का भूगतान करना होगा। ऐसा ही कुछ निर्णय लेकर जनस्वास्थ्य एवं जलापूर्ति विभाग द्वारा यह योजना लागू कर दी गई है। इसमें घरेलु उपभोक्ताओं के लिए विभाग ने एक माह का बिल 61 रुपए, तो कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए एक हजार रुपए प्रति माह फ्लैट रेट तय किया है। दोनों ही उपभोक्ताओं को अगामी बिलों के भूगतान इसी फ्लैट रेट पर करना होगा।
गौरतलब है कि इससे पूर्व जनस्वास्थ्य एंव जलापूर्ति विभाग की ओर से पानी सप्लाई के कनेक्शन के लिए उभोक्ताओं को आवेदन करना होता था, जिसके बाद कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं को पानी इस्तेमाल की मीटर रिडिंग के हिसाब से बिल का भू गतान करना पड़ता था। किंतु अब ऐसा करने के स्थान पर नई योजना के तहत अब पानी कनेक्शन के लिए मीटर लगवाने की जरुरत नहीं है। कोई भी उपभोक्ता आसानी से सीधे विभागीय कार्यालय में कनेक्शन के लिए आवेदन कर योजना का ला•ा ले सकता है। जिसके बाद घरेलू उपभोक्ता को केवल उसके घर पर आने वाले हर तीसरे व चौथे माह में 61 रुपए प्रति माह के हिसाब से बिल अदा करना होगा। वहीं, कमर्शियल उप•ोक्ता को एक हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से बिल आदा करना होगाशहर मेंसप्लाईकनेक्शन घरेलू - 26 हजार कमर्शियल - 450 इसलिए लिया किया फ्लैट रेट निर्धारित
वाटर सप्लाई योजना के तहत कई बार मीटर रिडिंग के लिए विभागीय कर्मियों को उपभोक्ताओं के घरों तक जाना होता था, तो इसी रिडिंग के आधार पर बिल बनाकर उपभोक्ताओं के भाजने का कार्य भा किया जाता था। ऐसे में स्टॉफ की कमी के कारण यह कार्य काफी मशक्त भारा व समय की बरबादी न हो इसके लिएविभाग को घरेलु व कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए फ्लैट रेट तय करने का निर्णय लेना पड़ा। पहले बिल अदायगी के दो आभाप्शनपानी के बिल अदाइगी के लिए इससे पूर्व उपभोक्ताओं के पास दो आॅपशन प्रयुक्त थे। जो इस प्रकार है।:- पहले आभापशन में उपभोक्ता द्वारा अपने मकानों में लगवाएं गए मीटर से दूसरव तीसरे माह विभागीय कर्मचारी
द्वारा रीडिंग ली जाती थी। इसी रिडिंग से पिछली रिडिंग के बीच के अंतर को तीन माह का पानी इस्तेमाल किया जाना माना जाता था। तो साथ ही, उपभाक्ताओं से मकान की लंबाई और चौड़ाई को ध्यान में रखते हुए प्रति एक हजार लीटर पानी पर सवा रुपए से चार रुपए तक का बिल लिया जाता था। इसके अलावा पानी के एक चौथाई हिस्से का सीवर में प्रयुक्त दिखाकर, उसका खर्च भी बिल में जोड़ जाता था। - दूसरे आॅप्शन में विभागीय टीम आवेदनकर्ता के मकान का सर्वे करती थी। इस दौरान यह देखा जाता था कि उपभाक्ता के मकान में ताजा पानी की कितनी टूटियां व टायलेट हैं। इन उपभा क्ताओं में एक टूटी और एक टायलेट वाले को 25 रुपए और दो टूटियां और अधिक टायलेट वाले को 48 रुपए महीना बिल •ारना होता था। यह बन बिल का हिसाबवाटर सप्लाई योजना में विभाग द्वारा किए गए फेरबदल के मुताबिक घरेलु उप•ोक्ताओं से 61 रुपए बिल के रुप में लिए जाने है। जिसमें 48 रुपए पानी के लिए तो 12 रुपए सीवर के पानी की निकासी के लिए और एक रुपया प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रप में शामिल है। इसी प्रकार कमर्शियल उपभा क्ताओं सेविभाग ने फिक्स बिल योजना के तहत एक हजार रुपए बिल वसूलेगा।
इस योजना से विभाग का भी समय बचेगा और बिल में आने वाली शिकायतों से •ाी निजात मिल सकेंगी। वहीं, अवैध कनेक्शनों का दायरा भा कम हो सकेंगा।
एके भारद्वाज, एसडीओ, जनस्वास्थ्य एंव जलापूर्ति विभाग।
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