Tuesday, 28 February 2012

फैसला चाहिए आन द स्पॉट CITY NEWS YNR



                                       फैसला चाहिए आन द स्पॉट 
पीड़ित परिजनों के साथ शहर के लोगों ने भी अधिकारियों से मांगा जवाब 

 हादसे के बाद पहली बार सभी पक्ष एक साथ अपने-अपने ब्यान दर्ज कराने पहुंचे। लघु सचिवालय में इंसाफ मिलने पहुंचे मृत युवकों के परिजन कभी इस अधिकारी तो कभी उस अधिकारी के कार्यालय में धक्के खाते रहे। छह घंटे तक चली इस कार्रवाई में जहां सभी ने एसडीएम के समक्ष अपने-अपने ब्यान दर्ज कराए। वहीं, मामले का कोई भी हल न मिलने पर मृत युवकों के परिजनों ने प्रशासन को 24 घंटे का समय देते हुए मंगलवार की सुबह 11 बजे तक कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान आरोपी पुलिस कर्मी पर मामला दर्ज न होने पर परिजनों व शहर के लोगों ने खुद ही आगामी कार्रवाई करने की चेतावनी तक दे डाली।

लघुसचिवालय में 11 बजे का समय था, दोनों युवकों के परिजन एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अन्य पक्षों की बांट में बैठ गए। एसडीएम दवेंद्र कौशिक  दोनों युवकों के परिजनों में भास्कर के पिता विरेंद्र, बहन कविता और सचिन के पिता ओमप्रकाश व गड़वाल सभा के भारतभूषण व ललीत शर्मा  से बातचीत जारी थी। समय की घड़ी जैसे ही 11 बजकर 20 मिनट पर पहुंची, तो लघुसचिवालय में हलचल बढ़ चली। देखते ही देखते लघुसचिवालय इस मामले में कुछ संस्थाओं के दर्जनों लोग भी इंसाफ की मांग को लेकर पहुंचने लगे। जिनमें आर्ट आॅफ लिविंग की सदस्य जितेंद्र चढ़ा, अंजू गांधी, राजेश गढ़, डाक्टर ईश चढ़ा, अनू साहनी, कमलदीप, सेवा भारती की प्रवीण भाटिया, मनमोहन समेत दर्जनों लोग सीधे-सीधे एसडीएम कार्यालय में दाखिल हो गए। जहां पहुंचकर उन्होंने मामले से जुडेÞ प्रश्नों के तीर एसडीएम समक्ष छोड़ दिए। इस पर एसडीएम देवेंद्र कौशिक ने जांच में दखल न दिए जाने की बात कहीं। करीबन 15-20 मिनट के एसडीएम व उक्त लोगों के बीच हुए वार्तालाप में कई प्रश्न ऐसे उठे जिनका जवाब एसडीएम नहीं दे सकें। यहां तक के लोगों के पुछने पर जोगेंद्र सिंह कहा है? इस पर एसडीएम द्वारा  जवाब देते हुए कहा गया कि कमेटी की बैठक की सूचना उन्हें दे दी गई थी, किंतु बुलाए जाने का अधिकार मेरे पास नहीं है। 20 मिनट के इस वार्तालाप से असहमती जताते हुए, उक्त विभिन्न संस्थाओं के लोग सीधे-सीधे डीसी कार्यालय की ओर रुख कर गए। एक ओर जहां एसडीएम कार्यालय में पीड़ित परिवारों समेत कमेटी सदस्यों की बयानबाजी कार्रवाई की जा रही थी। तो दूसरी ओर उक्त विभिन्न संस्थाओं के लोग डीसी कार्यालय में 11:30 बजे बैठ गए। उन्होंने वहीं मामले से जुडेÞ प्रश्नों चिन्ह का चिट्टा डीसी समक्ष रख दिया। जिस पर डीसी अशोक सांगवान ने ‘इंक्वायरी हो रही है’ यह बात कहीं। जिस पर सीधे-सीधे उक्त लोगों द्वारा  प्रश्न किया गया कि इंक्वायरी की तय समय सीमा नहीं है, न ही आरोपी के खिलाफ सीधे-सीधे कार्रवाई की जा रही है। इस पर डीसी अशोक सांगवान द्वारा उनकी मांग पर इंक्वायरी का समय निर्धारित करने का आश्वासन देकर लोगों के आक्रोश को शांत करना चाहा।  तो साथ ही मामला दर्ज कराए जाने के लिए डीसी से उन्हें एसपी से मिलने को कहा। यह बात सुनकर असंतुष्ट होकर इन्हीं लोगों का आक्रोश 12:00 बजे डीसी कार्यालय के बाहर नारेबाजी के रुप में निकला। यहां से सीधे-सीधे लघुसचिवालय की सीढ़ियां चढ़ दर्जनों लोगों द्वारा एसपी कार्यालय में 12:05 मिनट पर एसपी समक्ष भी इन्हीं प्रश्नों को रखा।
पूरे डेढ़ घंटे एसपी कार्यालय में रही गहमा-गहमी
समय था 12:05 बजे, एसपी कार्यालय में प्रवेश करने के बाद एससपी मितेश जैन के समझ बैठे इन लोगों में डा. ईश चढ़ा द्वारा एसपी से जोगिंद्र सिंह के खिलाफ सीधे-सीधे कार्रवाई न किए जाने का कारण पुछा। एसपी ने इस पर जवाब देते हुए कहा ‘दो अलग-अलग उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले की इंक्वायरी चल रही है’। डा. ईश चढ़ा ने जवाब सुनने से पूर्व ही एसपी से सावल किया कि आम लोगों के लिए व पुलिस के लिए अलग-अलग कानून है? इस पर एसपी ने कहा ‘नहीं’। लोगों ने सीधे-सीधे एसपी से कहा यदि कानून अलग नहीं तो फिर जोगिंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यो नहीं? इस पर उन्होंने थोड़े देर मौन रहकर जवाब दिया कि ‘जांच चल रही है।’ समय बढ़ चला था, घड़ी में 12:45 होने को थे। एसपी से सीधी-सीधी लोगों की बातचीत जारी थी, कि जिसमें गढ़वाल सभा के भारतभूषण ने कहा कि क्या अपने अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए डीजीपी या सीएम की अनुमति की जरुरत है?  हमे बताएं हम लोग इंसाफ के लिए सीएम तक जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। इस पर एसपी मितेश जैन मौन साध गए।  यहां एसपी को मौन होता देख उक्त लोगों ने उन्हें 24 घंटे में मामले में ठोस कार्रवाई करने का अल्टीमेटम देते हुए कहां कि इसके बाद इंसाफ के लिए भुख हड़ताल पर बैठने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
एसपी कार्यालय में जहां पूरे डेढ़ घंटे उक्त वार्तालाप हुआ। तो वहीं कमेटी की बैठक एसडीएम कार्यालय में चल रही थी। जहां   सभी पक्षों के ब्यान लिए जा रहे थे, एसपी कार्यालय से वापस आते ही लोगों ने लघुसचिवालय की सीढ़ियों से उतरने के दौरान ही पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरु कर दी। यहीं रोष उन्होंने एसडीएम कार्यालय के बाहर भी जारी रखा। तो पीड़ित परिवारों के परिजनों के साथ ये लोग लघुसचिवालय में शाम पांच बजे तक डटे नजर आए। शाम पांच बजे जाकर सभी पक्षों की ब्यानबाजी संपन्न हो सकी।
मामले से जुडे प्रश्नों का बैंक था लोगों के पास
आर्ट आॅफ लिविंग की सदस्य जितेंद्र चढ़ा, अंजू गांधी, राजेश गढ़, डाक्टर ईश चढ़ा, अनू साहनी, कमलदीप, सेवा भारती की प्रवीण भाटिया, मनमोहन, गडवाल सभा के भारतभूषण, ललीत शर्मा समेत दर्जनों लोगों के पास मामले से जुडेÞ प्रश्नों को बैंक तैयार था। तीन पर्चो के इस प्रश्नों की लिस्ट के अलावा भी लोगों के जहन में उठे सवालों को उन्होंने एसडीएम दवेंद्र कौशिक, डीसी अशोक सांगवान व एसपी समक्ष रखा। जिनमें:-
- 12 दिन बीतने पर भी क्यों नहीं एफआईआर?
- झगड़े के बाद रेलवे ट्रेक से मिले दो युवकों के शवों के परिजनों के ब्यान लेने में 12 दिन का समय क्यों लगा?
- बच्चों को जबरन घर से उठा ले जाना और उनका मृत मिलना। यह कौन सा आॅफेंस है?
- पोस्टमार्टम की विडियों रिकार्डिंग क्यों नहीं?
- पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में दोनों युवकों के कई जगह फेक्चर कैसे?
किसने क्या दिए ब्यान
सरपंच सुरेश राणा ने एसडीएम समक्ष अपने ब्यान में बताया कि 14 फरवरी की सुबह बैंक कालोनी में झगड़ा हुआ था। जिसके लिए एसएचओ फर्कपुर व जोगिंद्र सिंह मौके पर पहुंचे थे। उसके बाद जोेगिंद्र सिंह भास्कर को अपने साथ ले गया था। वहीं, भास्कर के सामने रह रही मक्खन कौर ने अपने ब्यान में बताया कि जोगिंद्र सिंह भास्कर अपनी मोटरसाइकिल पर घर ले गया था। बैंक कालोनी की सुमित्रा गोसाई ने अपने ब्यानों में बताया कि जोगिंद्र सिंह ही भास्कर व सचिन को इक्ट्ठे एक मोटरसाइकिल पर लेकर गया था। वहीं, सचिन के परिवार की तरफ से अश्वनी व तरसेम ने अपने ब्यान में कहा कि भास्कर व सचिन को जोगिंद्र सिंह अपने साथ ले गया था। वहीं, भास्कर की बहन कविता गोसाई ने अपने ब्यान में कहा कि उसका भाई भास्कर घर मेें सोया हुआ था जोगिंद्र सिंह ने आकर उसके भाई को उठाया और जबरन अपने साथ ले गया। इसी बीच मुझे व मेरी मां को अपशब्द भी कहे।
क्या कहा जोगिंद्र सिंह ने
गांधीनगर चौंकी इंचार्ज जोगिंद्र सिंह ने एसडीएम देवेंद्र कौशिक को दिए ब्यान में कहा कि ‘मुझे किसी का फोन आया था कि बैंक कालोनी में झगड़ा हुआ है। मैं उसे देखने गया था’। इस पर एसडीएम द्वारा पूछे जाने पर किसका फोन आया था। कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने अपनी बात को पलटते हुए कहा कि कंट्रोल रूम से आया था। और मैं उन्हें अपने साथ नहीं ले गया था। भास्कर ने मुझसे सचिन के घर तक लिफ्ट मांगी थी। उसके बाद मैने उसे सचिन के घर छोड़ा और वहां से दोनों को लेकर आईटीआई छोड़ा। उसके बाद मैं गांधीनगर चौंकी चला गया। वहां से मेरी ड्यूटी वैलेंटाइन-डे पर लगा दी। वहां से मुझे फर्कपुर थाने बुला लिया गया, उसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं। लेकिन शाम को मुझे दो लड़कों के ट्रेन से कटने की सूचना मिली और पता चला कि ये वहीं लड़के है, जिनको मैने मेडिकल कराने के लिए आईटीआई पर छोड़ा था। कहीं न कहीं दोनों लड़कों को चोट लगने की बात पुलिस कबूल रही है।









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