Sunday, 25 March 2012

हैल्दी दांत ही मिशन डॉ. मानसी CITY NEWS YNR



  हैल्दी दांत ही डॉ. मानसी का मिशन
कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं

यमुनानगर। ‘पापा हॉस्टल अलाउ नहीं करते थे। एरिया में कोई अच्छा प्राइवेट स्कूल भी  नहीं था। इसके चलते 12वीं तक गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंड़री स्कूल  फाजिल्का में पढ़ाई की। गवर्नमेंट स्कूल्स में व्याप्त व्यवस्था को जितनी अच्छी तरह से मैं समझ सकती हूँ शायद ही कोई और समझे। यही कारण है कि आज मैं अपने डाक्टरी के पेशे के व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालकर गवर्नमेंट स्कूल्स के बच्चों के लिए समय निकालती हूं’, यह कहना है समाज सेवा के बल पर समाज में अपनी अलग पहचन बना चुकी यमुनानगर की यंग एचिवर डेंटिस्ट डॉ. मानसी अबोहरी का।
32 वर्षीय डॉ. मानसी गवर्नमेंट स्कूल्स के बच्चों के डेंटल हैल्थ को लेकर इतनी पैशॉनेट है कि वह पिछले 7-8 सालों में 105 निशुल्क डेंटल चेकअप कैंप लगाकर गवर्नमेंट स्कूल्स के 10 हजार बच्चों का फ्री ट्रीटमेंट कर चुकी हैं। वह इस मिशन को ताउम्र चालू रखना चहती है।
डॉ. मानसी के मुताबिक वह चाहते हुए भी गवर्नमेंट स्कूल्स में इंफ्रास्ट्रक्चर तो उपलब्ध नहीं करवा सकती, परंतु एक डेंटिस्ट होने के नाते उन्होंने संकल्प लिया है कि गवर्नमेंट स्कूल्स के ज्यादा से ज्यादा बच्चों के दांत हैल्थी हो। इस मिशन को सक्शेस करने के लिए वह अब तक 10 हजार स्कूली बच्चों के दांतों का फ्री ट्रीटमेंट कर चुकी हूं। इसके लिए उन्होंने गवर्नमेंट से कोई फाइनेंशियल हैल्प भी  नहीं ली है।
बेसिकली पंजाब के फालिल्का टाउन से बिलॉंग करने वाली डॉ. मानसी  2002 में यमुनानगर के डेंटिस्ट डॉ. भानू अबोहरी से शादी करने के बाद से यमुनानगर में ही सैटल है। यहां वह अपने क्लीनिक के व्यस्त समय में से महीने में दो दिन स्कूल्स में कैंप लगाने के लिए निकालती है।
हालांकि डॉ. मानसी एक डाक्टर फेमिली से बिलॉंग करती है परंतु उन्होंने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हैल्थ साइंसेज से बीडीएस इसलिए की है कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। उनका मानना है कि महिलाओं को पढ़ाई के मामले में बिल्कुल भी  कंप्रोमाइज नहीं करना चाहिए। उन्हें ऐसी एजेकुशन लेनी चाहिए जिसके बल पर वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। जीवन में कई बार ऐसे क्षण भी आते हैं कि परिवार की पूरी जिम्मेदारी महिला के  ऊपर आ जाती है। यदि वह अपने पैरों पर खड़ी हो तो ऐसी जिम्मेदारी को वह बाखूबी निभा  सकती है।
बच्चों के हैल्थी दांतों के मिशन के अलावा डॉ. मानसी का एक ओर ड्रीम प्रोजेक्ट है। वह अपने रिसोर्सेज से गरीब छोटे बच्चों के लिए एक स्कूल  खोलना चाहती है, जिसमें बच्चे स्टडी कर शुरू से ही अपने पैरों पर खडेÞ होने की भविष्य में प्लान कर सके।
‘जब भी  मैं गवर्नमेंट स्कूल्स में जाती हूं मेरी आत्मा मुझे गरीब बच्चों के लिए कुछ खास करने के लिए कटोचती है। इसलिए मंने एक छोटे बच्चों के लिए छोटा सा स्कूल बनाने की ठानी है। इस प्रोजेक्ट को हकीकत बनने में अभी  लगभग टू ईर्य्स का टाइम लगेगा। मेरी एक इच्छा और है कि सभी गवर्नमेंट सर्वेंट्स के बच्चे गवर्नमेंट स्कूल्स में पढ़ाने कंपल्सरी हो। यदि ऐसा हो जाता है तो गवर्नमेंट स्कूल्स के माहौल में और सुधार होगा और देश में एक नए •                                                       भारत की तस्वीर बनेगी’
डॉ. मानसी को उनके उत्कृष्ठ कार्या के लिए वरिष्ठ नागरिक  संस्था डे केयर क्लब, सीनियर सिटीजन काउंसिल, आउट सटेंडिंग विमन एचिवमेंट अवार्ड, कुमारी सेलजा द्वारा महिला सशक्तिकरण अवार्ड, तमिलनाडू के पूर्व गवर्नर भीष्ण नारायण सिंह व उड़ीसा के पूर्व गवर्नर सईद सिबती रजी द्वारा राष्ट्रीय  अवार्ड समेत अनेक संस्थाएं उन्हें सम्मानित कर चुकी है।

Tuesday, 13 March 2012

कार्रवाई नहीं, अब करूंगी आत्मदाह CITY NEWS YNR





            कार्रवाई नहीं, अब करूंगी आत्मदाह 
पिता के शराब की लत से परेशान होकर कई जगह लगाई युवती ने गुहार

विनोद धीमान
 कहते है कि घर के मुख्या परिवार की रीढ़ की तरह काम करता है। लेकिन यदि मुख्या ही गलत राह पर चल पडेÞ तो यही रीढ़ कमजोर होकर खोखली होने लगती है। वहीं, परिवार में घरेलु परेशानियों का खामियाजा अन्य सदस्यों को उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक किस्सा गांव हरनौल के परिवार में हुआ, जिस पर परिवार की एक युवती ने पत्राचार के माध्यम से अलग-अलग आलाधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक गुहार लगाई। गुहार के बाद भी  कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब युवती परेशान होकर आत्मदाह करने की बात कह रही है।
गांव हरनौल निवासी गुरमीत देवी ने बताया कि उसके परिवार में उसके पिता  अत्याधिक शराब पीने के आदि है। जो उन्हें 13 साल पहले घर छोड़कर उनसे अलग हो गए। जिसके बाद परिवार की खुशियां भी  धीरे-धीरे खत्म होने लगी।  उसने बताया कि जैसे ही पिता घर छोड़कर चले गए तो परिवार में वह और उसके तीन भाई व मां परिवार में रह गए। परिवार की आमदन का कोई साधन नहीं रहा था, फिर कुछ समय बाद उसकी मां का भी देहांत हो चला। जिसके बाद अब वह और उसके छोटे भाई रह गए थे। किसी तरह व और उसके भाई घर चला रहे है। उसने बताया कि उसकी ही तरह घरेलु परेशानियों व शराब के सेवन से उजड़ते परिवारों की पुर्नवृति न हो इसके लिए उसने आलाअधिकारियों से मंत्रियों तक महिलाओं के उचित पालन-पौषण की गुहार लगाई। जिसमें उसने ग्रामीण स्तर पर शराबी परिवार की महिलाओं के लिए अलग से सुविधा का प्रबंध किए जाने की कोई सरकारी योजना लागू किए जाने की मांग की। उसने बताया कि उसने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रियों को भी  पत्राचार के माध्यम से यह मांग रखी, लेकिन ऐसा करते हुए उसे दो साल होने को है। लेकिन अब तक उसकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही कोई जवाब भी  आया। इसी कारण अब उसने हताश होकर आत्मदाह करने की बात कहते हुए उसने कहा कि या तो राष्टÑपति उसे खुद आकर मिले या फिर उसकी मांग को लागू किए जाने के बारे में निर्णय लिया जाए। गुरमीत ने बताया कि जहां एक ओर सरकार महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए पे्ररित कर रही है, तो वहीं गांवों में इनकों जागरुक करने के लिए सरकार की ओर से कोई भी  कार्य नहीं किया जा रहा है। आज के समय में जहां देश की भाग-डोर जहां एक महिला राष्टपति के हाथ में है। वह भी  हम जैसी महिलाओं के बारे में ऐसा कोई कानून पास क्यों नहीं करती? जिससे शराबी परिवारों की महिलाओं को राहत मिल सके।




Saturday, 10 March 2012

होली पर मंदबुद्दि बच्चों ने बांधा समां CITY NEWS YNR




                   होली पर मंदबुद्दि बच्चों ने बांधा समां


। बच्चों के लिए निष्वभव  से कार्य के लिए जाने जाने वाली डॉ. मानसी अबहोरी ने होली के उपलक्ष्य में उत्थान संस्थान में एक कार्यक्रम का आयोजन करवाया।  उत्थान संस्थान के ये मंदबुद्दि बच्चे सिर्फ  देखने में ही असहाय नजर आते है पर ये बच्चे अब किसी के मोहताज नहीं। इनमें भी  कुछ कर दिखाने का जज्बा है। इनमें •भी  वह सब गुण है जो सामान्य बच्चों में भी  है। ऐसे की बच्चों का बिड़ा उठा रही है उत्थान संस्था। जो देश से मिलकर सिख रही है। डॉ. मानसी के द्वारा इन बच्चों को किए गए होली के अवसर रंगारंग कार्यक्रम गाए गए गीतों से देखकर नहीं लग रहा था कि यह बच्चें भी सामान्य बच्चों से किसी तरह कम हो। सभी  बच्चों ने रंगारंग प्रस्तुति के बाद स्कूल के प्रांगण में भी  सभी  उपस्थित लोगों व बच्चों ने आपस में एक-दूसरे को रंग लगाकर व गले मिलकर होली की बधाई दी। इस मौके पर डॉ. मानसी ने कहा कि यह बच्चें भी  सामान्य बच्चों से अलग नहीं है। हमें इन बच्चों को हर खुशी की खड़ी में अपने साथ लेकर चलना चाहिए, ताकि यह बच्चे किसी हीन भावना का शिकार न हो। क्योंकि जीवन के संघर्षों का अनुभव ये बच्चे अपने दिलों में समाए होते है ये बच्चे एक मिसाल है। बच्चों के अस्तित्व का सर्वांगीण विकास ही हमारी प्राथमिकता है। कितनी कठिन परस्थितियों के बाद भी यह बच्चें विहीन निडर होकर समाज के साथ कदम से कदम मिलकार चलने की कोशिश कर रहे है और हम सभी  का कर्त्तव्य बनाता है कि हम इन बच्चों का होंसला बढ़ाए। इस मौके पर उत्थान संस्थान की डायरेक्टर अंजू वाजपेयी ने बताया कि हर साल संस्थान की ओर से होली के अवसर यह विशेष कार्य किया जाता है, जिसमें इन बच्चों को ऐसा न लगे कि वह देश का हिस्सा नहीं है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य मुख्य धारा से जोड़ना है। ताकि इन बच्चों का मानसिक व शारीरिक व भोतिक विकास हो सके। इस मौके पर इंदू कपूर, डॉ. मानसी व अंजू वाजपेयी ने प्रस्तुति करने वाले बच्चों को पाठ्य सामग्री देकर सम्मानित किया। 

Monday, 5 March 2012

मैली न रहेंगी अब यमुना की धारा! CITY NEWS YNR



                           मैली न रहेंगी अब यमुना की धारा!
सुप्रीम कोर्ट ने दिया दिल्ली के अलावा हरियाणा व यूपी को छह सप्ताह का                                            समय दिए समय में पेश करना होगा हल्फनामा 
विनोद धीमान
जगधरी वर्कशाप। शायद! अब यमुना की धारा मैली न रहे। देवी समान पूजनीय इस नदी की धारा को स्वच्छ रखने की कवायद शुरु होने वाली है। ऐसा ही कुछ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद होता दिखाई दे रहा है। जिसमें कोर्ट ने यमुना नदी के संदर्मे दिल्ली के अलावा हरियाणा व उत्तरप्रदेश से यमुना की धारा को स्वच्छ रखे जाने की क्या प्रयास हो रहे है? इस संबंध में छह सप्ताह के अंतराल में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
बता दें कि, यमुना नदी पहाड़ी क्षेत्रों से बहकर मैदानी क्षेत्रों से बहते हुए प्रदेश में सर्वप्रथम जिला यमुनानगर आकर गिरती है। यहीं से इस यमुना की स्वच्छ धारा यूपी व हरियाणा की सीमा से होते हुए दिल्ली की ओर बहती है। इन्हीं क्षेत्रों में लाखों लोगों की आबादी को आबाद कर रही इस नदी को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि नदी में आज प्रदुषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है। इसी को मद्देनजर रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कड़े आदेश दिए है कि यमुना की धारा को स्वच्छ रखने के लिए क्या कयास किए जा रहे है? इसमें तमाम कार्यों का हल्फनामों दोनो प्रदेशों व दिल्ली सरकार से छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट के आदेशों के बाद सिंचाई विभाग व प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड हरकत में आने लगे है। दोनों ही विभागों को उक्त आदेशों की पालना करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में यमुना की धारा को स्वच्छ रखना है। तो दोनों ही विभागों द्वारा उन्हें मिले छह सप्ताह के समय के धीरे-धीरे बीतने पर चुस्ती  दिखानी शुरु कर दी गई है।
प्रदेश में प्रवेश पर ही होने लगती  मैली
अपने राज्य के बाद यमुना नदी जब दूसरे राज्यों में प्रवेश करती है। तो नदी का पहला पड़ाव जिला यमुनानगर ही माना जाता है। ऐसे में जिला यमुनानगर में 12 लाख से अधिक आबादी व उस पर हजारों औद्योगिक ईकाइयां से लगातार यमुना नदी में प्रदुषण को बढ़ावा मिल रहा है। जिसमें सबसे अधिक ट्विनसिटी  जगाधरी व यमुनानगर में व्यवसायिक गतिविधियों के चलते साथ लगती यमुना में लगातार गंदगी व विषेले रासायन गिराए जा रहे है। जहां मेटलनगरी जगाधरी में 800 छोटी बड़ी बर्तन बनने संबंधित औद्योगिक ईकाइयां है, जिनसे लगातार तेजाबी पानी व कई कैमिकल युक्त गंदगी निकल रही है। इसके अलावा यमुनानगर शहर में प्लाईवुड से संबंधित 500 से अधिक औद्योगिक ईकाइयों से भी  लगातार कैमिकल युक्त पानी निकल रहा है। दोनों ही के जरिए निकल रहे रासायन व गंदगी नालों  के जरिए सीधे-सीधे यमुना में गिर रहे है।
ट्रीटमेंट योजना भी  यमुना को बचाने में फैल
स्वच्छता एंव जलापूर्ति विभाग द्वारा जिला यमुनानगर में यमुना की धारा को स्वच्छ रखने के लिए यूं तो यमुना एक्शन प्लान के तहत करोड़ों रुपए खर्च किए गए है। जिसमें अधिक्तम प्रदुषण वाले स्थान ट्विनसिटी जगाधरी व यमुनानगर में दो स्थानो पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए। जिसमें एक कैंप  व तीर्थ नगर पुल समीप लगाया गया है। जिनमें एक की 10 एमएलडी व दूसरे की 25 एमएलडी क्षमता है। दोनों प्लांट सीवेरेज से निकलने वाली गंदगी व प्रदुषण को दूर करने के लिए लगाए गए थे। किंतु इनमें से कैंप में लगाया गया प्लांट यमुना को स्वच्छ रखने में नाकाम साबित हो रहा है। क्योंकि विभाग की लापरवाही के चलते ट्रीटमेंटर प्लांट के साथ जाते शहर के सबसे बड़े नाले को सीधे-सीधे यमुना नदी में छोड़ दिया गया है। जिससे यह कई किलो मीटर लंबाई तय कर शहर की गंदगी व प्रदुषण युक्त पानी लगातार यमुना नदी में गिरा यमुना को मैला किए जा रहा है। इसी प्रकार तीर्थनगर स्थित लगाया गया ट्रीटमेंट प्लांट की हालत भी  दयनीय है।

यमुना में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने व एक 40 एमएलडी का नया प्लांट लगाने के लिए जिस पर 200 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है। उसका बजट बनाकर उच्चाधिकारियों को •ोजा गया है।
मदनलाल, एक्सईएन, यमुना एक्शन प्लान।

शहरों के बाद अब कस्बों में भी  प्रदूषण को रोकने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही जो नाले व सीवर सीधे यमुना नहर व नदी में गिर रहे है। उन्हें भी  किसी ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से गंदगी दूर कर यमुना में छोड़े जाने के लिए दिशा-निर्देश दिए है। ताकि लगातार बढ़ रहे यमुना नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकें।
सीवी सिंह, रिजनल आफिसर, प्रदुषण कंट्रोल बोर्ड





















Friday, 2 March 2012

चमत्कार को आज भी किया जाता है नमस्कार CITY NEWS YNR


   चमत्कार को आज भी  किया जाता है नमस्कार
       खेड़ा मंदिर में पीपल के वृक्ष से लगातार टपक रहा पानी
                    आस्था से जोड़ कर देख रहे श्रद्धालु

 बेशक आज 21वीं सदी में विज्ञान व उसके चमत्कार का बोलबाला है, लेकिन आस्था के चमत्कार की डोर भी  ज्यों की त्यों कामय है। ताजा उदाहरण गुरुवार को गांव बुढ़िया के प्राचीन खेड़ा मंदिर में देखने को मिला है। मंदिर परिसर में खडेÞ वर्षों पुराने पीपल के वृक्ष से लगातार पानी की बूंदे टपक रही है। जहां इसे पर्यावरणविद् इसे वैज्ञानिक प्रक्रिया मान समान्य बात बता रहे हैं, वहीं इस दृश्य को देखने के लिए लगातार बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ इसे आस्था से जोड़ विभन्न धारणाएं गड़ने लगी है। इस आलौकिक दृश्य को देख श्रद्धालु इसे अमृत वर्षा बता रहे है और इसका सेवन कर रहे हैं।
गांव बुढ़िया निवासी महेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वह गुरुवार को अलसुबह सैर पर निकले थे।  जैसे ही वह गांव के खेड़ा मंदिर समीप से गुजर रहे थे तो उन्होंने पाया कि मंदिर परिसर में खडेÞ पीपल के वृक्ष की शाखा से पानी  की बूंदे टपक रही है। उन्होंने बताया कि यह देख उन्होंने इस बारे मंदिर के पूजारी व गांव के लोगों को बताया।  उसके बाद तो जिसने भी  इस बात को सूना वह मंदिर परिसर में इस दृश्य को देखने के लिए पहुंच गया। मंदिर केमौजूदा पूजारी पं जयभागवान ने बताया कि उनके वंशज बरसों से इस खेड़े मंदिर में सेवा कर रहे है। उसने बताया कि मंदिर में होली पर्व पर विभन्न आयोजन होने है, ऐसे में इस चमत्कार का होना बहुत शुभ है। सैकड़ो वर्षो से इस खेड़ा मंदिर से लोगों की अटूट आस्था बंधी है। जिसका ही नजारा आज देखने को मिला, जैसे ही लोगों ने मंदिर में पीपल से पानी टपकने की बात सूनी वह धीरे-धीरे मंदिर परिसर की ओर बढ़ चला। वहीं, दोपहर तक आसपास के गांवों में इस बात के पता चलते ही मंदिर में सैकड़ो ग्रामीण पहुंच गए और  पीपल से टपक रहे पानी के सेवने के लिए अपने-अपने बर्तनों में एकत्रित किया। मोहन लाल, अश्वनी कुमार, जगमाल सिंह, बलदेव चंद, देवीचंद शर्मा, सुरेंद्र गोयल, विरेंद्र शर्मा आदि श्रद्धालुओं ने बताया कि यह आस्था का एक आलौकिक दृश्य है।
अचम्भा  नहीं, यह है नार्मल प्रक्रिया
पर्यावरण विशेषज्ञ डा. अजय गुप्ता ने बतायास कि वृक्ष के पेड़ से पानी की बूदो  का निकलना कोई अचंलो  वाली बात नहीं है। यह एक नार्मल प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि हर वृक्ष में जाईलम के द्वारा ऐसा होना सामान्य बात है। जाईलम जड़ो से वृक्ष की हर टहनी व पत्तियों तक पानी को पहुंचने का कार्य करता है, जो प्राचीन वृक्षों में अधिक प्रभीवी रुप से कार्य करता है।