चमत्कार को आज भी किया जाता है नमस्कार
खेड़ा मंदिर में पीपल के वृक्ष से लगातार टपक रहा पानी
आस्था से जोड़ कर देख रहे श्रद्धालु
बेशक आज 21वीं सदी में विज्ञान व उसके चमत्कार का बोलबाला है, लेकिन आस्था के चमत्कार की डोर भी ज्यों की त्यों कामय है। ताजा उदाहरण गुरुवार को गांव बुढ़िया के प्राचीन खेड़ा मंदिर में देखने को मिला है। मंदिर परिसर में खडेÞ वर्षों पुराने पीपल के वृक्ष से लगातार पानी की बूंदे टपक रही है। जहां इसे पर्यावरणविद् इसे वैज्ञानिक प्रक्रिया मान समान्य बात बता रहे हैं, वहीं इस दृश्य को देखने के लिए लगातार बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ इसे आस्था से जोड़ विभन्न धारणाएं गड़ने लगी है। इस आलौकिक दृश्य को देख श्रद्धालु इसे अमृत वर्षा बता रहे है और इसका सेवन कर रहे हैं।
गांव बुढ़िया निवासी महेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वह गुरुवार को अलसुबह सैर पर निकले थे। जैसे ही वह गांव के खेड़ा मंदिर समीप से गुजर रहे थे तो उन्होंने पाया कि मंदिर परिसर में खडेÞ पीपल के वृक्ष की शाखा से पानी की बूंदे टपक रही है। उन्होंने बताया कि यह देख उन्होंने इस बारे मंदिर के पूजारी व गांव के लोगों को बताया। उसके बाद तो जिसने भी इस बात को सूना वह मंदिर परिसर में इस दृश्य को देखने के लिए पहुंच गया। मंदिर केमौजूदा पूजारी पं जयभागवान ने बताया कि उनके वंशज बरसों से इस खेड़े मंदिर में सेवा कर रहे है। उसने बताया कि मंदिर में होली पर्व पर विभन्न आयोजन होने है, ऐसे में इस चमत्कार का होना बहुत शुभ है। सैकड़ो वर्षो से इस खेड़ा मंदिर से लोगों की अटूट आस्था बंधी है। जिसका ही नजारा आज देखने को मिला, जैसे ही लोगों ने मंदिर में पीपल से पानी टपकने की बात सूनी वह धीरे-धीरे मंदिर परिसर की ओर बढ़ चला। वहीं, दोपहर तक आसपास के गांवों में इस बात के पता चलते ही मंदिर में सैकड़ो ग्रामीण पहुंच गए और पीपल से टपक रहे पानी के सेवने के लिए अपने-अपने बर्तनों में एकत्रित किया। मोहन लाल, अश्वनी कुमार, जगमाल सिंह, बलदेव चंद, देवीचंद शर्मा, सुरेंद्र गोयल, विरेंद्र शर्मा आदि श्रद्धालुओं ने बताया कि यह आस्था का एक आलौकिक दृश्य है।
अचम्भा नहीं, यह है नार्मल प्रक्रिया
पर्यावरण विशेषज्ञ डा. अजय गुप्ता ने बतायास कि वृक्ष के पेड़ से पानी की बूदो का निकलना कोई अचंलो वाली बात नहीं है। यह एक नार्मल प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि हर वृक्ष में जाईलम के द्वारा ऐसा होना सामान्य बात है। जाईलम जड़ो से वृक्ष की हर टहनी व पत्तियों तक पानी को पहुंचने का कार्य करता है, जो प्राचीन वृक्षों में अधिक प्रभीवी रुप से कार्य करता है।
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