Friday, 30 November 2012

फ़जी आर सी बनाने वाले तीन व्याक्ति गीरफतर CITY NEWS YNR


   फ़जी आर सी बनाने वाले तीन व्याक्ति गीरफतर 

यमुनानगर पुलिस के हाथ तीन ऐसे सरकारी बाबू लगे है जो चोरी हुई नई गाडियों के इंजन नंबर व चैसिज नंबर को बदल कर उनकी नई आर सी तैयार कर उसे एक नंबर में मार्किट में बेच देते थे पुलिस ने एक आरोपी की मदद से ही इन तीनों को गिरफतार किया है और पुलिस ने अब तक इन लोगों से दर्जनों लगजरी गाडियों को भी बरामद कर अपनी तफतीश शुरू कर दी है


यमुनानगर की स्पैशल सैल ने एक बार फिर से बडी सफलता हांसिल की है पुलिस ने एक चोर की मदद से उन सरकारी बाबूओं के गिरेबान तक हाथ पहुंचाया है जो इन चोरी की गाडियों को एक नंबर में बदलने में अहम भूमिका निभाते थे दराअस्ल पुलिस के हाथ एक माह पहले जिले के गांव संधाला का राजेश हाथ लगा था और उसके कब्जे से पुलिस ने एक नई इंडिगों सी एस गाडी बरामद की थी लेकिन उसके कागजात पूरे होने पर पुलिस को शक हुआ और जब चोर से सख्ती से पूछताछ की तो एक बार पुलिस को भी सोचने के लिए मजबूर होना पड गया क्योंकि चोर ने सीधे एसडीएम कार्यालय व आरटीए कार्यालय के उपर पर अंगली जो उठाई थी लेकिन पुलिस के हाथ कुछ लग नही रहा था लेकिन जब देर रात हिमाचल पुलिस ने यमुनानगर में दस्तक दी तो पुलिस ने इन सरकारी बाबूओं को हिरास्त में लेेने के लिए देर नही लगाई पुलिस का कहना है कि अब तक उन्होंने दर्जनों गाडियों कब्जे में ले ली है लेकिन उनका आर सी नंबर व इंजन नंबर मेल नही खाता और न ही चैसिज नंबर मेल खाता है क्योंकि यह गाडिया चोरी होने के बाद इनके चैसिज नंबरों को बदलने का काम किया गया था जबकि साथ ही इंजन प्लेट भी बदल दी गई थी 


 पुलिस ने बरामद की गई गाडियो ंमंे ज्यादातर इंडिगों सीएस स्कोरपियों बुलेरों आदि है जबकि इन्हीं गाडियों क ेअब तक न ता ेपुलिस नंबर मिला पाई है और न ही चैसिज नंबर क्योंकि चोरी होने के बाद नंबर व चैसिज नंबर बदलने के काम उत्तर प्रदेश में किया जाता था और बाद में इन्हीं गाडियों को हिमाचल में ले जाकर उनकी नकली एनओसी तैयार कर दी जाती थी जबकि बाद में इन्हें यमुनानगर लाया जाता था यहा न तो एसडीएम कार्यालय में इन पर कोई अबजैक्शन लगता था और न ही आरटीए कार्यालय में क्योंकि इन लोगों की मिली भक्त से इन गाडियों के आराम से कागजात बन जाते थे और बाद में इन्हीं गाडियों को बडी ही आसानी से मार्किट में गाडी की मार्किट के हिसाब से बेच दिया जाता था मतलब चोरी की गाडभ् एक नंबर में फिल्हाल पुलिस ने एसडीएम कार्यालय के कल्र्क व आरटीए कार्यालय के कल्कर्का को हिरास्त में लेकर उनसे पूछताछ शुरू कर दी है जबकि पुलिस अब उन लोगों को भी बहुत जल्द गिरफतार कर पाएगी जो बडे बडे दफतरो ंमें बैठकर इन चोरी की गाडियों की खरीद फरोख्त कर उनके कागजात तैयार करवाते थे इस मामले में पुलिस की गिरफत में आए एसडीएम कार्यालय के कल्र्क अभी भी अपने आप को निर्दाेश बता रहे है


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