Wednesday 12 December 2012

12 बजकर 12 मिन्ट पर खुशी की किल्लकारी CITY NEWS YNR


12 12 और 12 और वह भी 12 साल के बाद 12 बजकर                12 मिन्ट पर खुशी की किल्लकारी 

 12 12 और 12 और वह भी 12 साल के बाद 12 बजकर 12 मिन्ट  यमुनानगर के एक परिवार मे खुशी की किल्लारियां गंजू उठी हालाकि आज के दिन को एक यादगार बनाने के लिए अपने बच्चों का जन्म करवाते है लेकिन यमुनानगर के एक निजी अस्पताल में यहा एक बच्चों को प्लान करवाया तो वही दूसरी तरफ एक परिवार के घर 12 साल के बाद खुशी ने आगाज किया दोनों ही परिवार में खुशी का महौल है क्योंकि एक के घर 12 साल के बाद तो दूसरे के घर आज 17 साल के बाद खुशी आई है

 यमुनानगर के एक निजी अस्पताल में आज 12 बजकर खुशी की लहर दौड पडी क्योंकि इस अस्पताल में आज दो डिलिवरी हुई है और उसमें भी एक 12 साल के बाद तो दूसरी 17 साल के बाद हालाकि इस दिन को लोग महूरत की शक्ल में याद रखने के लिए प्लान करवाते है लेकिन यहा का तो मामला ही कुछ और था क्योंकि यमुनानगर के प्रेम नगर निवासी प्रदीप कोहली की शादी को 12 साल बीत गए थे लेकिन घर में खुशी का आगाज नही हुआ लेकिन आज जब हुआ तो इस लम्हे को कोई भी बुला नही सकता क्योंकि प्रदीप कोहली के घर आज 12 साल के बाद जो खुशी आई है वह भी 12 ही 12 में तबदील हो गई क्योंकि एक तो शादी के 12 साल पूरे हुए तो दूसरी तरफ आज का दिन भी 12 तरीख 12 वां महीना और साल भी 12 यही नही इनके घर जो मासूम आया है वह भी 12 बजकर 12 मिन्ट पर है न करिशमा लेकिन इस लम्हे को याद रखने के साथ साथ परिवार को लोग इसको एक करिशमा मान रहे है और कह रहे है कि भगवान ने उनको यह दिन देना था और तभी इतना लंबा इंतजार करना पडा और खुशी में प्रदीप के साथ यहा अस्पताल के स्टाफ खुशी मना रहा है तो दूसरी तरफ लोगों के बधाई देने का भी तांता लगा हुआ है
 प्रदीप के घर तो 12 साल के बाद भगवान ने ऐसा समय दिया  िकवह 12 जैसे शब्द को भुला भी नही सकेंगे लेकिन वही अंजू के घर 17 साल के बाद खुशी लौटी है क्योंकि अंजू के घर 17 साल के बाद संतान हुई है और वह भी एक कन्या के रूप में दराअस्ल 17 साल के बाद अंजू के घर जो खुशी आई है उसे वह एक यादागार के रूप में रखना चाहते थे और उन्होंने जानबूझ कर ही इस दिन को चुना हालाकि आज 12 12 और 12 में अंजू भी भागीदार हो गई लेकिन उसके घर 12 बजकर 12 मिन्ट की जगह 12 बजकर तीन मिन्ट पर जरूर लडकी पैदा हुई हालाकि इस पूरे मामले में दोनों ही परिवार के लोग खुशी के मारे फूले नही समा रहे और इस खुशी के महौल में डाक्टर भी उनके साथ बराबर हकदार बने हुए है तभी अस्पताल में यहा दवाईया ही दवाईया नजर आती है और आज इस खुशी के अवसर पर आज दवाई की जगह मिठाई नजर आ रही है





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