साईं पेड़ से पूरी हो रही हर बच्चो की जरूरते
यमुनानगर ( पारुल ) कहा जाता है कि अगर सच्चे मन से भगवान से कुछ मांगा जाए तो वह किसी न किसी सूरत में जरूर देते है और यही हो रहा है साई सौभाग्य मंदिर यमुनानगर में यहा उन गरीब बच्चों को पढाया जाता है जिनके मां बाप बच्चों को पढाने में आसमर्थ होते है लेकिन यहा बच्चों की पढाई के साथ मंदिर में एक विश ट्री भी लगाया गया है यहा बच्चे अपने मन की बात पर्ची पर लिखते है और उसे उसे साई भगत पूरा करते है
यमुनानगर के इंडस्ट्री एरिया स्थित साई सौभाग्य मंदिर पिछले लंबे समय से स्थपित है पर इस मंदिर में न केवल साई भगवान की पूजा होती है बल्कि यहा मंदिर में उन बच्चों को पढना लिखना और अन्य काम निशुल्क सिखाए जाते है जो आम आदमी की जरूरत के होते है लेकिन सबसे बडी बात तो इस मंदिर की यह है कि यहा बच्चो के मन में अगर कोई भी बात आती है तो उसे भी पूरा किया जाता है मंदिर की मैनेजमेंट की माने तो उनके स्कूल में लगभग एक सौ से अधिक गरीब बच्चे पढते है जिन्हें पढाई के साथ साथ कंप्यूटर सिलाई कढाई व योगा आदि मुफत में सिखाया जाता है और ऐसे में मंदिर में लोगो का योगदान भी ऐसा है कि इन बच्चों को किसी प्रकार की कोई कमी नही आने दी जाती बता दे बता दे मंदिर में 18 ऐसे बच्चे है जिन्होंने कभी स्कूल के अंदर भी जाकर नही देखा था और रोजाना सडको पर कूडा बिनने के लिए निकल जाते थे और ऐसे बच्चो को मोटीवेट कर उन्हें अब यहा पर न केवल पढाया जा रहा है बल्कि उन्हें कंप्यूटर भी सिखाया जा रहा है और इस काम के लिए मंदिर की मैनजमेंट के साथ साथ मंदिर से जुडे लोग कर रहे है गरीब बच्चों को किसी प्रकार की कमी न हो इसके लिए बकायदा बच्चों से हर बात पूछी जाती है साई सौभाग्य में बच्चों को इन दिनों उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करने का काम भी साई सौभाग्य मैनेंजमेंट ने उठाया है और वह एक पेड को साथ लेकर दराअस्ल मंदिर के प्रणगण में एक मंरादों को पूरा करने का पेड लगाया गया है
जिस पर बच्चे अपने मन में सोच कर एक पर्ची लगाते है और मंदिर से जुडे लोग इस पेड से उस पर्ची को उतार कर ले जाते है और जो कुछ उस पर्ची में लिखा होता है वह मनोकामना बच्चों को पूरा करते है बता दे कि मंदिर में पढने वाले 80 बच्चो ने इस मुराद पूर्ण पेड पर अपनी इच्छा जाहिर कर पर्ची लगाई थी जिनमें से 52 बच्चों की मुरादे पूरी हो चुकी है और इन 52 में 35 बच्चों ने साइकिल की मुराद मांगी थी जबकि इसके इलावा एक मासूम बच्ची ने टच मोबाइल और कुछ ने घडी मांगी लेकिन एक मासूम बच्ची ने साई दरवार में अपने पिता को सम्मानित करने की इच्छा जाहिर की थी तो वही बच्चे भी इस मुरादपूर्ण पेड को मंदिर में देख कर गदगद होते है क्योंकि उनके मन में जो विचार आता है वह पूरा करने के लिए मंदिर के भगत और साई कृपा से वह पूर्ण हो जाता है और यह वह बच्चे है जो कभी पढाई के लिए स्कूल से कोसो दूर थे और आज यह पढने लिखने में ऐसे माहिर हो रहे है कि इलकी उंगलिया भी कप्यूटर के माउस पर दौड रही है मुरदपूर्ण पेड इन बच्चों को तो भा ही रहा है वही मंदिर में दानी सज्जनों के चलते किसी प्रकार की कोई कमी भी नही आ रही और यह तो बच्चों को देख कर ही लगता है
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