Friday, 27 January 2012

दिला सकूं प्रतिभा को आयाम...CITY NEWS YNR


  दिला सकूं प्रतिभा  को आयाम...
जडोदा स्थित प्राथमिक स्कूल में कराई गई विभान्न प्रतियोगिताएं 
प्रतिभा  तराशने के लिए समाज सेविका द्वारा गांव-गांव को मुहिम से जोड़ने का लिया संकल्प 

। स्कूली स्तर पर बच्चों के बीच विभान्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उनकी प्रतिभा  को तराशने की एक समाज सेविका द्वारा छेड़ी गई मुहिम अब गांव-गांव पहुंचेगी। बात हुडा सेक्टर- 17 निवासी डा. मानसी अबहोरी द्वारा शुरु की गई एक अनोखी पहल की। डा. मानसी ने बताया कि अब उन्होंने गांव-गांव तक जाकर स्कूली बच्चों के बीच विभान्न प्रतियोगिता का आयोजन कर उनकी प्रतिभा  को उच्च स्तर पर पहुंचाने का संकल्प लिया है, जिसका शुभआरभा  आज जगाधरी खंड के गांव जड़ौदा स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल से हुआ। जहां पहली से पांचवी कक्षा तक के 150 से अधिक नौनिहालों के बीच नृत्य, गायन, क्वीज, ड्राइंग व अन्य प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया। जिसके माध्यम से बच्चों में भा रतीय संस्कृति, राष्टभायता की भावना पैदा हो सके इसके लिए हर प्रतियोगिता में देश व देश से जुडेÞ इतिहास को दिखाने का प्रयास किया गया। इसके अलावा प्रतियोगिता में बच्चों को भारण हत्या पाप है, लड़का-लड़की एक समान आदि समाज में फेली बुराईयों को दूर करेने का प्रयास किया गया। वहीं, प्रतियोगिता में कोई जीत-हार का चयन किए जाने के स्थान पर सबको एक समान डा. मानसी अबहोरी द्वारा पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया। 
गांव-गांव पहुंचेगी ये मुहिम
डा. मानसी अबहोरी ने बताया कि उनका प्रयास है कि 2012 के अंत तक जिला यमुनानगर के छह ब्लॉक रादौर, सदौरा, बिलासपुर, मुस्तफाबाद, जगाधरी व छछरौली के गांव-गांव तक इस मुहिम को पहुंचने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि इस मुहिम में उनका हर संभव प्रयास रहेगा कि गांव के बच्चों की प्रतिभा  को तराशकर उन्हें जिला व राज्य स्तर पर  प्रतिभा  दिखाने के लिए पलेटफार्म दिला सकूं।


प्रतियोगिता के विजेता बच्चे कार्यक्रम की आयोजक डॉ. मानसी के साथ।


                                                                             विनोद धीमान



पंजाबी संस्कृति का रस घोलती लोहड़ी CITY NEWS YNR

   

पंजाबी संस्कृति का रस घोलती लोहड़ी
ट्विनसिटी में लोहड़ी मनाने के प्रति बढ़ा लोगों को उत्साह
स्कूल-कालेजों के अलावा पंजाबी सभा व संगठनों द्वारा की जा रही विशेष तैयारी
समय के साथ पर्व मनाने के बदले पर्व मनाने के तौर-तरीके

‘13 जनवारी! सर्द हवाओं से राहत पहुंचाते अग्नि के ताप का वह सुखद आनंद में प्राचीन लोकगीतों व मूंगफलियों -रेबड़ियों के सेवन के दौरान गिद्दा-भंगडा। यह सब सुन आप पंजाब के सार्थक दर्शन व लोहडी पर्व का सार्थक सा चित्रण मन-मस्तिष्क पटल पर बनने लगता है। पंजाब से कौसो दूर होने के बावजूद भी ट्विनसिटी में पर्व को लेकर तैयारियां विशेष है, जिसके लिए कई सभाओं व संगठनों ने पंजाबी संस्कृति की झलक से शहरवासियों को रूबरू कराने के लिए पर्व पर विशेष प्रकार के आयोजनों करने की ठानी है, तो घर-परिवार में बेटी व बेटे और बहु के आने की खुशी में इस बार लोहड़ी पर्व को धूम-धाम से मनाने की तैयारियां है।’
 यमुनानगर। साल की शुरूआत के सप्ताह भर बाद ही जहां मौसम की बदली छटा और हल्की-हल्की सर्द हवाओं का दौर शुरू हो जाता है, तो साथ ही इस मौसम में पंजाबी संस्कृति का रस घोलते हुए लोहड़ी पर्व का आगाज होता है। भले ही पंजाब से ट्विनसिटी की मीलो दूरी पर हो, किंतु पर्व को लेकर ट्विनसिटी में पंजाबी  संस्कृति का पूर्ण दर्शन कराने के लिए पूरी त्यारियां की जा चुकी है, जिसमें पंजाबी सभा समेत विभिन्न संगठनों की ओर इस पर्व को धूमधाम से मनाने की ठान ली है, तो अभी लोहड़ी के कई दिनों दूर होने पर भी स्कूल-कालेजों व संगठनों की ओर से इस पर्व को लेकर पंजाबी संस्कृति की झलक से लोगों को रूबरू कराने के लिए कई तरह के आयोजन किए जा रहे है।
पर्व के साथ जुड़ी ये गाथा
लोहड़ी पर्व के साथ जुड़ी मान्यता के मुताबिक एक गांव में दुल्ला नामक व्यक्ति था, जोकि बहुत गरीब था। फिर भी उसने एक लड़की को गोद लिया और जब उसकी शादी का समय आया तो उसके पास शादी के लिए कुछ न होने पर उसने लड़की की शादी के लिए गांव का गरीब था, उसने लड़की के विवाह के लिए गांव में इधर-उधर गांव वालों की मदद ली, जिस पर गांव के लोगों की मदद के बाद सब सामान जमा करने पर उसके द्वारा अपनी बेटी का विवाह धूम-धाम से मनाया गया। यहीं गाथा इस पर्व के लिए प्रचलित है,  इसी गाथा के बाद से यह पर्व बरसों से 13 जनवरी के दिन मनाया जाता आ रहा है।लोहड़ी पर्व पर सभी परिवार के लोग व कई स्थानों पर संगठनों की ओर से इस पर्व को मनाए जाने के लिए कुछ लक्कड़ियों व गोहे आदि को जमा कर देर शाम सबके एकजुट होने के बाद सर्वप्रथम लोहड़ी को मनाने के लिए जमा की गई सामग्री पर घी को अग्नि में अर्पित करते हुए पंजाबी लोक संस्कृति से जुडे गीतों को गाकर व इसी मौसम विशेष में खाए जाने वाले खाद्य सामग्री में मुंगफलियों, रेबड़ियों व फूलियाओं आदि को अग्नि में अर्पित कर शगुन किया जाता है।
पर्व मौसम की बदली छटा का करता स्वागत
पंजाबी संस्कृति के रस घोलता यह पर्व  से जुड़ी उक्त गाथा विशेष रूप से प्रचलित है, तो वहीं इस पर्व के लिए एक और मान्यता के मुताबिक यह पर्व मौसम में आए परिवर्तन का भी स्वागत करता है, विशेषता साल के पहले सप्ताह भर के उपरांत में मौसम से ठंडक कम होने लगती है और बसंत पंचमी तक मौसम में यूं ही बदली का दौर रहता है। मौसम के यूं बदले मिजाज को भी पर्व के साथ जोड़कर देखा जाता है।
पर्व में मिठास घोलती रेबड़ीलोहड़ी पर्व में जहां लोगों को पंजाबी संस्कृति की झलक दिखाई पड़ती है, तो साथ ही पर्व में रेबड़ी की मिठास भी पर्व में और अनंद का अनुभव कर देती है, बरसो से पर्व के साथ जुड़ी मान्यता है कि पर्व को मनाते समय यानि शाम के समय लोहड़ी के शगुन के रूप में तिल की रेबड़ियों व अन्य मिष्ठानों को अर्पित किया जाता है। इसके अलावा मूंगफलियों, फूलियों आदि का पर्व के दौरान सेवन किया जाता है।दाम आसमान पर फिर भी रौनक बरकरारपर्व पर खाए जाने पर रेबड़ियों, मूंगफलियों आदि खाद्य समाग्री के भले ही दाम आसमान को छू रहे हो, फिर भी बाजार में रौनक बरकरार है। अभी तीन-चार दिन शेष होने के बावजूद भी इन खाद्य सामानों की जमकर खरीदारी की जा रही है। 
बदले मौसम तो बदले-बदले अंदाज
मौसम के बदलने के साथ मनाया जाने वाला लोहड़ी पर्व को लेकर भले ही विभिन्न सभाओं व   संगठनों की ओर से इसे धूमधाम से मनाने की तैयारियां कर ली हो, किंतु प्राचीन समय में त्यौहार से जुडे किस्सें, बोलियां व लोकगीतों भूले से भी याद नहीं आ पाते। जिसका सबसे अधिक प्रभाव युवा पीढ़ी पर हुआ है, युवाओं के प्राचीन समय के पर्व को मनाने के तौर-तरीकों से अनभिज्ञ होने के चलते नए तरह से पर्व को मनाया जाने लगा है।
लोकगीत में अटक जाती है जुबां
इसे समय की मांग कहे या फिर आज के आधुनिकता के दौर के चलन का प्रभाव कहे कि जहां पर्व के दौरान गाए जाने वाले लोकगीतों को गाते समय आज भी परिजनों की ही जुबां अटकने लगती है, तो जिससे युवा पीढ़ी भी न केवल लोकगीतों से ही बल्कि पर्व को मनाने के तौर-तरीकों से भी अनभिज्ञ रह जाती है। तो दूसरी ओर वे पर्व को नए तौर-तरीके से मनाने में लगे है।
डीजे का चला चलनयूं तो प्रचीन समय में पर्व के साथ पंजाबी संस्कृति को दर्शाते लोक गीतों के अलावा लोक नृत्यों व नृत्य के रूप में विभिन्न बोलियों पर गिद्दा व भंगड़ा किए जाने का चलन था, किंतु आज डीजे पर थिरकने का अधिक चलन चल पड़ा है।ग्रिटींग कार्ड भी दिए जाने लगेन्यू ईयर की तर्ज पर लोहड़ी पर्व पर भी युवाआें में ग्रिटींग कार्ड देने का चलन खूब बढ़ चला है, जिसका अंदाजा शहर में दर्जनों कार्ड शौप पर हो रही इन कार्डो की बिक्री को देखकर लगाया जा सकता है। दुकानदारों की माने तो लोहड़ी संबंधित कार्ड 20 से शुरू होकर 150 रूपए व इससे अधिक कीमत में यदि लेना हो तो बडेÞ आकार में 150 से 250 रूपए के बीच भी कार्ड उपलब्ध है। दुकानदारों के अनुसार भले ही लोहडी पर्व के अभी दो-तीन दिन शेष है, फिर भी हर दिन 20 से 25 कार्ड बिक रहे हैबदला रवैया तो बदली सोच
अमुमन, लोहड़ी पर्व विशेषतौर पर किसी के विवाह के बाद बहु के परिवार में पहली दफा पर्व या फिर किसी के परिवार में बेटे के जन्म होने पर त्यौहार को धूम-धाम से मनाया जाता था, किंतु अब लड़कियों के लड़कों से कदम-दर-कदम मिलाने के दौर में सभी का लड़की के प्रति रवैया बदला है। यहीं कारण है कि लड़की बचाओं व अन्य कई तरह के ऐसे अभियानों को चलाए जा रहे है। जैसे-जैसे ये रवैया बदला तो लोहड़ी पर्व पर परिवार में बेटी के जन्म पर भी वैसा ही उत्साह देखा जाता है, जैसा बेटे के जन्म पर हो और बेटी के जन्म पर इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है।
पर्व पर गए जाने वाले लोकगीत 
लोहड़ी पर्व पर गाए जाने वाले लोकगीतों में कई तरह के लोकगीत प्रचलित है, जिसमें लड़कियों व लड़कों के कई गीतों में विशेषतौर पर निम्न गीत विशेष रूप से गाए जाते है:-
Ñलोहडी पर लड़कियों के गीत
‘हुल्ले नी माये हुल्ले, दो बेरी पट्टे जुल्हे, दो जुल पाईयां खजूरियां। खजूरियां सटया मेवा, इस मुंडे दे घर मंग्वा, इस मुंडे दी वोटी निकली। हो कहंदी चोरी, कुटडी। कुट-कुट बराया थाल वोटी बावे नाना नल। ननद ते वडी परजाई। सो कुडमा दे घर आई! मैं लोहड़ी लेह आई’
लोहड़ी पर लड़कों के लिए गीत
‘सुंदर-मुंदरीए हो! तेरा कौन विचारा हो! दुल्हा वाटी वाला हो! दुल्हे दी दीह विहाई हो! शेर शक्कर पाई हो! कुड़ी दा लाल पटाखा हो! कुड़ी दा सालू पट्टा हो। साले कौन समते! चाचे चोरी कुट्टी! जमीदारां लुट्टी! जमींदारा सुदाए! बड़े बोले आए! एक बोला रह गया! सिपाही पकड़ के ले गया! सिपाही ने मेरी ईट! सानू दे-दे लोहड़ी ते तेरी जीवे जोड़ी! पैनें रो ते पांवे पीट’
पर्व के लिए विशेष लोहड़ी संगीत
‘मुक्की दा दाना, आना ले के जाना..., हुल्ले हुलारे, अस्सी गंगा चल्ले, सास-सोरा चल्ले। जेठ-जेठानी चल्ले। दयोर-दरानी चल्ले, पैरी शौकां  चल्ली। हुल्ले हुलारे। अस्सी गंगा पहुंचे सास-सोरा पहुंचे। जेठ-जेठानी पहुंचे। दयोर-दरानी पहुंचे, पैरी शौकां पहुंची, हुल्ले-हुलारे। अस्सी गंगा नाते शावा और हुल्ले, जेठ-जेठानी नाते, दयोर-दरानी नाते। पैरी शौकां नाती। हुल्ले-हुलारे। शौकां पेल्ली पौड़ी शौकां दुजी पौड़ी। शौकां तीजी पौड़ी। मिट्ठी धाखां दीत्ता, शौकां वीच रूढ गई, हुल्ले-हुलारे। सास-सोरा रौण, जेठ-जठानी रोण, दयोर-दरानी रौण, पैरा ओवी रोवे। मैं क्या तुस्सी क्यों रौंदे ओ, तुवाड़े जोग्गी मैं बथेरी, मैनू दयो बधांइयां जी। हुल्ले-हुलारे’

लोहड़ी पर्व को लेकर शहरवासियों में उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी पर्व के लिए तीन दिन शेष है फिर भी पंजाबी सभा की ओर से रविवार को लोहड़ी पर्व को धूमधाम से मनाते हुए डीएवी स्कूल में एक लोहड़ी मेला आयोजित किया गया। देर शाम को शुरू हुए इस मेले में पंजाबी संस्कृति की पूर्ण झलक दिखाई पड़ी, जिसमें सैकड़ो की संख्या में लोगों ने शामिल होकर लोहड़ी पर्व को मनाया।
पंजाबी सभा के तत्वावधान में आयाजित हुए इस लोहड़ी मेले का शुभारंभ डा. ईश चढ्ढा ने किया।  पर्व में पंजाबी संस्कृति से रूबरू कराने के लिए भंगड़ा, गिद्दा व अन्य लोकगीतों को गाकर व लोहड़ी में मूंगफलियों व रेबड़ियों आदि के शगुन के उपरांत देर रात तक पर्व को धूमधाम से मनाया गया।
कलाकारों ने खूब जमाई महफील
सभा की ओर से आयोजित लोहड़ी मेला में श्रीगणेश इंटरप्राईजर्स के  सौजन्य से आयोजित रंगारंग कार्यक्रमों में हास्य कलाकार जूनियर जसपाल भटी, जूनियर गुरदासमान, गिद्दा और भांगड़ा टीम ने दर्शकों का खूब मनमौहा। वहीं इस अवसर पर जहां शहर से सैकड़ो की संख्या में लोग शमिल हुए तो पंजाबी सभा के महासचिव हरीश कोहली, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य देवेंद्र चावला, आदि सभा के सभी सदस्य भी मौजूद थे।

Monday, 23 January 2012

माइनिग कर रहे लोगों ने पुलिस पर हमला CITY NEWS YNR


 माइनिग कर रहे लोगों ने पुलिस किया  हमला
 यमुनानगर जिले के कस्बा खिजराबाद के ताजेवाला इलाके में अवैध रूप से चल रही माइनिग पर रोक लगाने के लिए गश्त कर रही पुलिस पार्टी पर माइनिग तस्करों ने हमला कर दिया अचानक हुई पत्थर बाजी में एसएचओ घायल हो गए तो वही जवाबी कार्रवई में कई तस्करों के भी चोटे आई है पुलिस की कार्रवई को देख तस्कर वहा से भाग निकले लेकिन पुलिस ने आठ माइनिग तस्करों को काबू कर लिया और उनके कब्जे से दो एक जेसीबी मशीन दो डंफर व कई गाडियों को कब्जे में ले लिया है वही तस्करों के खिलाफ पुलिस ने एक दर्जन के करीब धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उन्हें कोर्ट में पेश किया एक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब हरियाणा व उत्त्र प्रदेश की और से माइनिग पर रोक लगाने के लिए दोनों तरफ के प्रशासन जुट गए है और ऐसे में दोनों ही प्रदेशों की और से तस्करों पर काूब पाया जा रहा है जिससे बोखलाहट में आज यमुनानगर के खिजराबाद इलाके में जब पुलिस पार्टी गश्त कर रही थी तो बौखलाहट मतें आ कर अवैध माइनिग कर रहे लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया आनन फानन में पुलिस को वहा से भाग कर अपनी जान बचानी पडी लेकिन पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाकर जब घटना स्थल पर पहुंचरी तो दुबारा से अवैध माइनिग करने वाले तस्करो ंने पुलिस पर पत्थरो ंसे धावा बोल दिया जिससे मौके पर खिजराबाद थाना प्रभरी घायल हो गए पुलिस ने भी तस्करों को काबू करने के लिए बल प्रयोग करते हुए उन्हें काबू करने की कोशिश की काफी मुश्क्त के बाद पुलिस आठ लोगों को काबू कर पाई पत्थर बाजी में जहा पुलिस थाना प्रभारी घायल हो गए तो वही जवाबी कार्रवई में तस्करों को भी चोटों आई फिल्हाल पकडे गए सभी तस्करों को पुलिस ने सीआईए स्टाफ में लाकर उनसे पूछताछ कर इन लोगों के खिलाफ मारपीट जान से मारने की कोशिश धोखाधडी आन डयूटी पुलिस पर जान लेवा हमले सहित लगभग एक दर्जन के करीब धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है
दो पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में भी पेष किया वही पुलिस ने अवैध माइनिग कर रहे तस्करों के कब्जे से एक जेसीबी मशीन दो डंफर एक सकोरपियों सहित कई वाहनों को भी अपने कब्जे में ले लिया पुलिस का कहना है कि घटना के समय कई और भी वाहन व जेसीबी मशीने थी जिन्हें तस्कर वहा से भगा ले जाने में कामयाब रहे फिल्हाल पुलिस की पक डमें आए आठ तस्करों से पुलिस को काफी उम्मीदे है कि इनक ेपीछे कौन कौन लोग है जो अवैध माइनिग के धंधे में जुडे हुए है जिनके बारे में इन लोगो ंसे ख्ुालासा हो सकता है 
बाइट जांच अधिकारी हरबंस लाल

विवेकानंद ने दिया था अपने देश का परिचय CITY NEWS TNR



  शिकागों में औजस्वी बाणी आज भी सूनार्ह देती
युवा दिवस पर विशेष
दुनिया भर के देशों के सामने विवेकानंद ने दिया था अपने देश का परिचय
युवा पीढ़ी आज भी है विवेकानंद से ेकाफी इंस्पायर

‘हॉल में दुनिया भर के देशों से पहुंचे सभी महान साहित्यकार व अध्यात्म शास्त्री मौजूद पहुंचे थे, सभी को अपने-अपने देश के बारे स्पीच के माध्यम से  दर्शन कराने थे, सो सब देशों ने एक-एक कर अपने देशों के बारे में परिचय दे दिया। कुछ देर हॉल में खामोशी छा गई, बात ही कुछ अलग थी, सर्वप्रथम ऐसा हो रहा था कि भारत देश का परिचय देने को कोई व्यक्ति स्टेज की ओर बढ़ा चला जा रहा था। खामोशी उस वक्त तालियों की गड़गड़ाहट में बदल गई, जब इस व्यक्ति ने अपनी औजस्वी वाणी में केवल यह कुछ शब्द ‘माई सिस्टर एंड माई ब्रदर’ (मेरी बहनों और मेरे भाईयों) कहे। यह शब्द दुनिया भर के देशों से हॉल में बैठे सैकड़ो अध्यात्म शास्त्रियों की रूह को कंकंपाने पर विवश कर दिया। देखते ही देखते उनके रोंगेटे खड़े होने लगे तो सभी ने खुद-ब-खुद तालियों से इस भारतीय व्यक्ति का स्वागत कर स्टेज पर लयबद्ध अंगे्रजी में बोलते हुए इस युवा को सुनते चले गए। क्यों आपके जहन में भी उस शख्स की छवि के साथ वो 11 सिंतबर 1893 का शिकागों में वर्ल्ड पारलेयामेंट आॅफ रिलीजन हॉल का वो चित्रण तरोताजा हों गया हो गया होगा। जी हां!ं आज भी स्वामी विवेकानंद की उक्त करामात से दुनिया वाकिफ है। तो भारत देश को गौरव हासिल कराने वाले यह महान व्यक्ति यूथ आईकन के रूप में जाना जाता है।
आज समाज नेटवर्क
यमुनानगर। यूं तो भारत देश के लिए कई ऐसी महान शख्सियतों का जन्म गौरवशाली सिद्ध हुआ है, उनमें ही 12 जनवरी 1863 को मकर संक्रांति के दिन जन्में संक्रांति के अग्रदूत स्वामी विवेकानंद का नाम भी सदा शुमार रहेगा। जिसने देश की संस्कृति व सभ्यता को उस समय पूरी दुनिया में पहचान दिलाई, जब भारत देश को यहां की सभ्यता व संस्कृति के चलते विदेशो में पिछड़ा समझा जाता था, तब से अब तक इस न केवल भारतवर्ष ही बल्कि दुनिया भर के देश इस महान शख्सियत के विचारों पर सलाम करने को मजबूर हो जाते है। कलकता प्रांत में मकर संक्रांति जैसे पुण्य पर्व पर विश्वनाथ दत्त के घर जन्में इस बालक को जहां पहले माता-पिता ने विले नाम दिया, तो बाद में इस बालक को नरेंद्रनादत्त के नाम से जाना गया। शूरवीर, निड़र व कुशाग्रबुद्धि आदि सब गुण बालक के चहरे के तेज को देखकर ही प्रमाणित होते दिखाई देते थे, तो इन गुणों को युवावस्था में सिद्ध  भी कर दिखाया। सन् 1884 में पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु के पश्चात घर की स्थिति खराब होने के कारण नौकरी ढूंढने के लिए 17 वर्ष की उम्र में नरेंद्र
Ñका सम्पर्क स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुआ। जहां स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अपनी साधना के तेज और अपनी दृष्टि को नदेंद्र को देकर विवेकानंद बना दिया। जिसके बाद स्वामी रामकृष्ण परमहंस के निर्देश पर सारे भारत का भ्रमण किया। इसके बाद सन् 1893 11 सिंतबर को शिकागों के वर्ल्ड पारलेयामेंट आॅफ रिलीजन में अपने भाषण से न केवल अमेरिका बल्कि पूरे पाश्चातय देशों में भारतीय वैदिक सांस्कृतिक को दिग्विजय करा भारत लौटे। भारत लौटने के बाद स्वामी रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और चार जुलाई सन् 1902 को समाधि ले ली। तब से अब तक स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग पर चलते हुए युवापीढ़ी आज भी उनसे प्रेरित हो रही है। इसी के मद्देनजर स्वामी विवेकानंद के जन्मादिवस को यूथ फेस्टिवल के रूप में मनाया जाता आ रहा है।
11 सितंबर 1893 में शिकागों में दी गई स्पीच
‘‘अमेरिकी बहनो और भाईयों आपके इस स्रेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा ह्रदय आपार हर्ष से भर गया है। मैं आपकों दुनिया के सबसे पौराणिक भिक्षुओं की तरफ से धन्यवाद देतो हूं, मैं आपकों सभी धर्मो की जन्नी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और मैं आपको सभी जाति-संप्रदाय के लाखों-करोड़ो हिंदुओं की तरफ से धन्यवाद देता हूं मेरा धन्यवाद उन वक्ताओं को भी जिन्होंने  इस मंच से यह कहा कि दुनिया में शहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मै एक ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को शहनशीलता और सर्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक शहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते बल्कि हम विश्व के सभी धर्मो को सत्य के रूप में स्वीकार करते है। मुझे गर्व है कि मै एक ऐसे देश से हूं जिसने इस धरती के सभी देशों के सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने ह्रदय में उन इस्साइलियों के शुद्धतम स्मृतियां बचा कर रखी है, जिनके मंदिरों को रोमनों ने तोड़-तोड़ कर खंडहर बना दिया और तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने महान पारसी देश के अवशेषों को शरण दी और अभी भी उन्हें बढ़ावा दे रहा है। भाईयों मैं आपकों एक श्र्लोक कि कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा जिसे मैने बचपन में स्मरण किया और दोहराया है और जो रोज करोड़ो लोगों द्वारा हर दिन दोहराया जाता है जिस तरह से विभिन्न धाराओं कि उत्पत्ति विभिन्न स्त्रोतों से होती है उसी प्रकार मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है। वो देखने में भले सीधा या टेढ़-मेढे लगे पर सभी   भगवान तक ही जाते है’’
विवेकानंद के नक्शे-कदम पर युवाओं के बढ़ते कदम
स्वामी विवेकानंद को आज भी यूथ आईकन के रूप में सभी युवा उनके दिखाए आदेर्शो पर चलकर अपनी और अपने देश की पहचान बनाने में लगे है। स्वामी विवेकानंद को ही अपना प्रेरणा स्त्रोत मानने वाले ट्विनसिटी के भी कुछ युवाओं ने कम उम्र में ही ऐसा मुकाम हासिल कर दिखाया है, जिससे उनकी प्रतिभा का लौहा मान इन युवाओं को शहर में यूथ आईकन के रूप जाना  जाने लगा है।
अचूक निशाना लगाकर पा लिया अर्जुन अवार्ड
देश के गौरव सम्मान अर्जुन अवार्ड को पाना, जिसको हासिल करने के लिए ख्वाब में महज कल्पना-भर की थी, किंतु क्या मालूम था कि कल्पना सच भी हो सकती है। जिला यमुनानगर को अर्जुन अवार्ड दिलाने के मुकाम को हसिल कर दिखाया, जगाधरी के एक ऐसे मध्यवर्गीय परिवार में 2 जनवरी 1981 में जन्में संजीव राजपूत ने। परिवार के आर्थिक रूप से कमजोर होने पर भी संजीव ने अपनी हिम्मत न हारी और अपनी प्रारंभिक परीक्षा के दौरान पैदा हुए निशानेबाजी के शौक को ही अपना पेशा बनाने की ठान ली। पढ़ाई के साथ-साथ कई जिला व राज्य स्तर पर हुई निशानेबाजी की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। फिर जब बारहवीं की परीक्षा में उर्तीण होने के बाद अपने खेल के जौहर के बलबुते महज 22 की ही उम्र में ही भारतीय नेवी में भर्ती हुआ। सेना में भर्ती होने के बाद मिली लगातार शूटिंग के अभ्यास ही हर सुविधा मिलने पर संजीव ने लाभ उड़ा कर खूब अभ्यास किया। सर्विस के साथ-साथ कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं के बाद राष्टÑीय स्तर पर प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर यूं तो कई मेडल व अवार्ड अपनी झोली में किए। किंतु 29 अगस्त 2010 को 29 साल की उम्र में संजीव ने एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसके बारे में उसने महज ख्वाब में कल्पना-भर की थी। जिले से पहली बार किसी को देश के सम्मान अर्जुन अवार्ड को देश की माननीय राष्टÑपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के हाथों मिला। जिसके बाद से ही जिला यमुनानगर में शूटर संजीव राजपूत यूथ आईकन के रूप में उभरा और अब इस खेल की ओर भी जिले से कई युवाओं का रूझान बढ़ता दिखाई दिया है।
अब भी सफर लंबा है...
संजीव राजपूत के पिता कृष्णलाल राजपूत ने बताया कि बेटा नेवी में भले ही चला गया हो, किंतु अपने खेल से उसका लगाव अब भी बरकरार है। उन्होंने बताया कि खेल में उसे मिले मुकाम के बाद भी उसका ये सफर थमा नहीं है, यूं तो बेटे का ख्वाब था कि अर्जुन अवार्ड लाना, जिसे उसने कर दिखाया। लेकिन हाल ही में उसने अपने ओलम्पीक में स्थान बनाकर ओलम्पीक की ओर कदम बढ़ा दिए है। उन्होंने बताय की बीती 14 जनवरी को हुए आईएसएस वर्ल्ड कप में संजीव ने 1278.2 अंक हासिल कर गोल्ड मेडल लेने के साथ ही लंदन में होने वाले ओलम्पीक के लिए क्वालीफाई कर लिया है।

सबसे कम उम्र में भीम अवार्ड से गई नवाजी
ताईक्वांडों में महज 19 वर्ष की उम्र में ही भीम अवार्ड पाने का मुकाम हासिल कर जयती पाठक ने प्रमाणित कर दिखाया कि लड़कियां भी किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है।
प्रदेश भर में विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्यो के लिए दिया जाने वाला भीम अवार्ड जिले की छोली में आ सका है। यह मुकाम भी शहर की महज 19 वर्षीय लड़की की बदोलत हासिल हो सका। 26 जनवरी 1990 में यमुनानगर में जन्मी जयती पाठक की शुरूआत से ही पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में रूचि थी। महज 3 वर्ष की ही उम्र में ही जयती ने ताईक्वांडों खेल में खासी दिलचस्पी दिखाई और जैसे-जैसे प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। तो एक के बाद एक मेडल व अवार्ड अपनी छोली में डालते चली गई। कौच प्रभाकर शर्मा से खेल की बारिकियों से रूबरू होकर जयती पाठक ने छोटी सी ही उम्र में जिला व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के बाद राष्टÑीय स्तर पर अपना मुकाम बनाना शुरू कर दिया था। ढेरो मेडल व अवार्ड अपनी छोली में झालने के बाद राष्टÑीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन किया। देखते ही देखते राष्टÑीय स्तर पर कई देशों में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के बाद महज 19 वर्ष की उम्र में ही भीम अवार्ड के लिए चयनित किया गया और चंड़ीगढ़ में हरियाणा के माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा के हाथों यह सम्मान मिला। इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से जयती पाठक को हरियाणा रोडवेज के माध्यम से भीम अवार्ड जीतने पर सौगात के रूप में पूरे प्रदेश भर में निशुल्क रूप से सफर करने की सुविधा दी गई है।
मिले प्रोत्साहन तो जारी रहेगा जीत का दौर
जयती पाठक ने बताया कि यदि सरकार की ओर से थोड़ा प्रोत्साहन ओर मिले तो यह जीत का दौर जारी रहेगा। जयती के पिता अशवनी पाठक ने बताया कि  बेटी के हासिल किए मुकाम से उनका सर फक्र से ऊंचा हो जाता है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद से ही जयती अमेरिकन कंपनी में सॉफटवेयर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है। उन्होंने बताया कि यदि सरकार की ओर से इस खेल के प्रोत्साहन के लिए सर्विस की सुविधा मिल सके तो वह और   खेलों में ओर बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।


बोड़ी बिल्डींग में अपने जिला का नाम चमकाने वालों में सर्वप्रथम अंकुर शर्मा का नाम शुमार है। जिसने कई सालों से एक नहीं बल्कि कई मेडल जीतकर अनौखा मुकाम हासिल कर दिखाया। 10 सितंबर 1983 में जन्में छोटी लाईन निवासी अंकुर शर्मा की शुरूआत से ही खेलों में और कसरत करने में खासी दिलचस्पी थी। युवा होने पर अपनी कद-काठी को लेकर सक्रियता दिखाते हुए हर दिन व्यायाम कर बनाया अपने को बलवान बनाने लगा रहा। जिला स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में दम-खम दिखाने के बाद राज्य स्तर पर अपना मुकाम बनाने के लिए बढ़ चले इस युवा ने एक के बाद एक बोडी बिल्डींग के विभिन्न टाईटलों पर अपना कब्जा किया। अंकुर शर्मा ने बताया कि उसने कई बोडी बिल्डींग के जीते टाईटलों में चार बार मीस्टर इंडिया, एक बार मीस्टर हरियाणा,  व पिछले कई सालों से मिस्टर यमुनानगर के टाईटल को अपनी छोली में किया है। इसी के चलते उसे अमेरिका की ओपटीमम कंपनी द्वारा टू स्ट्रेंथ अवार्ड से  हाल ही में नवाजा गया। अंकुर ने बताया कि उसकी दिली तमना है कि वह मीस्टर यूनिवर्स का टाईटल भी अपने कब्जे में कर सके। इसके लिए वह दिन-रात अभ्यास कर रहा है, उसने बताया वह जल्द ही इस टाईटल लेकर अपना और अपने देश का नाम बोडी बिल्डींग के क्षेत्र में मुकाम बनाएगा।

बस बनना है डाक्टर 
डाक्टर बनने का ख्वाब है तो बनकर ही दिखाउंगी किसी कला के जरिए किसी जरूरतमंदों के काम आउंगी यहीं कुछ यहीं जज्बे के साथ जगाधरी निवासी आरोही अग्रवाल ने एक ऐसा मुकाम कर दिखया है, मन में डाक्टर बनकर किसी के काम आने का लक्ष्य लेकर आरोही कुरूक्षेत्र युनिवर्सिटी में बेचलर आॅफ फिजियोथेरेपी विषय के चारों सालों में टॉप पर आकर इस लक्ष्य की ओर बढ़ चली है। चारों साल में टॉप कर न केवल जिले में ही बल्कि पूरे प्रदेश-भर में हजारों परीक्षार्थियों को अपने मनोबल का परिचय देने वाली आरोही अग्रवाल जन्म 31 जुलाई 1989 में हुआ।  जगाधरी के राजा साहेब गली निवासी आरोही जैसा नाम का अर्थ वैसा ही मुकाम हासिल करती गई। आरोही अग्रवाल की प्रारंभिक शिक्षा गर्वनमेंट सरस्वती पब्लिक स्कूल से ली। यहीं से क्लास टीचर रेखा सेठ के प्रोत्साहन से जगी अल्ख ने पढ़ाई में सबसे आगे रहने की जिद्द पैदा की और दूसरी कक्षा से आंठवी कक्षा तक यहां शिक्षा हासिल करने के दौरान हमेशा सबसे अव्वल ही रही, तो इसके उपरांत सरोजनी कालोनी स्थित एमएलएन पब्लिक स्कूल में नोवी से बाहरवीं कक्षा में भी सबसे आगे रहने का सिल्सिला जारी रखा। फिर क्या था, डाक्टर बनने का था बचपन से ख्वाब, इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए सरोजनी कालोनी स्थित ठाकरदेवी ठाकंराम डीएवी इंस्टीट्यूट में बेचलर आॅफ फिजियोथेरेपी के तीन वर्ष जहां लगातार युनिवर्सिटी में टॉपर रही, तो अंतिम वर्ष में भी कुल 79 प्रतिशत अंक हासिल कर कुरूक्षेत्र युनिवर्सिटी में टॉप कर पूरे प्रदेश में   अपनी पहचान बना पया अनौखा मुकाम। आरोही ने बताया कि उसका केवल यही मक्सद है कि वह डाक्टर बन सके बस इसी लक्ष्य को लेकर वह निरंतर प्रसासरत आगे बढ़ रही है, फिल्हाल वह इसके लिए पीजीआई में इंटरनशिप कर रही है।
वर्ष     अधिक्तम  प्राप्त अंक
प्रथम -    1100      885
द्वितीय-    900        671
तृतीय-    1200      937
चतुर्थ-     1375      1084
कुल-   4575   3577
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समाज सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं...
समाजसेवा को ही अपना कर्म-धर्म मानाने वाली जिला की एक युवा महिला ने झुग्गी झोपड़ी में रह रहे व बेसहारों को सहरा देने के लिए अपनी ओर से हर वो संभव प्रयास किया। जिसके लिए उन्हें न केवल जिला स्तर पर बल्कि राज्य और राष्टÑीय स्तर पर कई अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। बात समाज सेवा में उत्कृष्ठ स्थान पाने वाली हुडा सेक्टर- 17 निवासी मानसी अबोहरी की, जिनको मिले इस मुकाम से आज शहर के युवा प्रेरित होने लगे है ओर इस पुनित कार्य में सहयोग को आगे आने लगे है।
बचपन से ही थी कुछ कर दिखाने की चाह
डा. मानसी अबोहरी ने बताया कि उसकों मिला यह सम्मान का पूरा श्रेय वह अपने पति व परिवार को देती है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही  बच्चों के लिए हर संभव सहायता करने की इच्छा शक्ति के कारण ही वह पूरे 9 वर्षों से बच्चों के उत्थान की अलख छेडेÞ बह्यठी है। जिसे वह निरंतर आगे बढ़ाती चली जाएगी, उन्होंने बताया कि पंजाब में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही उन्होंने जरूरत मंद जो किसी कारणवंश पढ़ाई से अछूते रह जाते है, उन गरीब बच्चों को निशुल्क रूप से पढ़ाना शुरू कर दिया।  उसके उपरांत 2002 में शादी कर यमुनानगर में भी इस मुहिम को जारी रखा और वह लगातार 9 वर्षो से जरूरतमंद बच्चों की सेवा का कार्य कर रही है। पिछले 6 सालों से लगातार गरीब बच्चों को शिक्षा रूपी ज्ञान के सागर के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न स्कूलों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रही है।
101 निशुल्क दंत चैक्अप कैंप लगा चुकी
पेशे से दंत चिकित्सक होने के नाते गरीब बच्चों व जरूरतमंदों के लिए निशुल्क रूप से डा. मानसी अबोहरी 101 दंत चैक्अप कैंप लगा चुकी है। मानसी ने बताया कि अभी भी उसे अपने द्वारा लगाया गया प्रथम चिकित्सा कैंप जोकि 17 सितम्बर 2005 में गुरूद्वारा सिंह सभा में लगाया था याद है। तब से लेकर अब तक उनके द्वारा लगातार 101 दंत जांच शिविर लगा चुकी है। जिसमें करीब  10 हजार मरीजों के दंत जांच कर चुकी है।
इस सेवाभाव ने दिलाएं कई पुरस्कार
इनके द्वारा किए गए कार्यो के लिए केवल यमुनानगर ही नहीं विदेशों में भी चीन की संस्था ईपीईसी (ईलेक्ट्रोनिक पावर कंस्ट्रक्शन कंपनी) द्वारा वर्ष 2010 में आउट स्टेंडिंग वुमेन अचिविंग अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2010 में बजुर्गो के लिए बनी संस्था डे केयर क्लब संस्था भी सम्मानित किया गया। 2011 में संसदीय सचिव शारदा राठौर द्वारा उत्कृष्ट दंत चिकित्सक के लिए भी नवाजा गया। 2011 में भी बाल कल्याण के लिए राष्टीय पुरस्कार के लिए नामंकित किया गया। 2011 में ही नई दिल्ली स्पीकर हाल में आईआईएफएस के सौजन्य से तमिलनाडू व उड़ीसा के पूर्व गवर्नर द्वारा राष्टÑीय सम्मान, तो हाल ही में नए साल की सौगात के रूप में बेस्ट सिटीजन आॅफ इंडिया का आवार्ड मिला है।

                                                                                                     विनोद धीमान




Tuesday, 17 January 2012

ताले तोड कमरों में पडी गेंहू और चावल CITY NEWS YNR


ताले तोड  कमरों में पडी गेंहू और चावल पकड़ा 
 यमुनानगर के कपाल मोचन एतिहासिक स्थल की तीन धर्मषालाओं पर एसडीएम ने छापा मार कर हजारों क्विंटल गेंहू और चावल बरामद किए है यह गेंहू और चावल सरकार द्वारा आगनवाडी व मीड डे मील के लिए दिया गया था जोकि उन तक न पहुंचकर ब्लैक में बेचा जाना था एसडीएम ने तीनों धर्मषालाओं के ताले तोड कर वहा पर पडे गेंहू और चावल को स्वयं सील कर दिया और मामले की कार्रवाई षुरू कर दी है इस पूरे मामले में एसडीएम कंफेड के डीएम को संदेह के घेरे में भी देखते हुए उन्हें लताड भी लगा दी 

यमुनानगर के ऐतिहासिक स्थल कपाल मोचन की धर्मषलाओ में अचानक पडी एसडीएम की रेड से उन में रह रहे लोगों में सनसनी फैल गई और जब एसडीएम ने धर्मषलाओं के बंद पडे कमरों के ताले तोडने का आदेष दिया तो कमरों में पडी गेंहू और चावल को देखकर सबके होष फाकता हो गए क्योंकि कमरे में पडे गेंहू और चावल की बोरिया फर्स से छत को लगी हुई थी और यह सारी गेहंू और चावल कंफेड ओर हेफड के थे एसडीएम ने रेड से पहले मौके पर ही कंफेड के डीएम को भी बुलाकर जब गेंहू और चावल के बोर में पूछा तो पहले तो वह भी अनजान बने रहे लेकिन जब हक्कित सामने आने लगी तो वह स्वयं को बचाते हुए नजर आए ठेकेदारों को बार बार जब फोन करने के बाद भी ठेकेदार वहा नही पहुंचा तो तब एसडीएम ने कमरों के ताले तोडने का आदेष दे दिया एक के बार एक कमरा जिसमें भरी हुई थी गेहंू और चावल उनको सब देखते ही रह जा रहे थे लेकिन कमरों को खोलने का सिलसिला लगातार जारी रहा एक के बाद एक धर्मषाला करके तीन धर्मषलाओं पर एसडीएम ने रेड की और इस काला बजारी की पोल खोल दी दराअस्ल जिन कमरों को धर्मषाला में किराए पर दिया जाता था उनमें यात्रियों के न रह कर उनमें गेंहू और चावल की काला बजारी की जा रही थी यही नही धर्मषाला में जहां गेहंू के भरे हंुए बैग थे तो वही सैकडों बैग ऐसे थे जिन्हें खाली कर फेंक रखा था
 कपाल मोचन की एक के बाद एक धर्मषाला को खंगाला गया और तीन धर्मषालाओं में काला बजारी का सच सामने आने लगा दराअस्ल यह गेंहू और चावल आसपास के इलाके के सरकारी स्कूलों मंे स्पलाई होना था और यह उन तक न पहुंचकर ब्लैक में बेचा जा रहा था लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि कंफेउ के डीएम इस पूरे मामले में हर तरफ सफाई ही देते नजर आए जबकि सबके सामने धर्मषाला में रहने वाले लोगों ने बताया कि यह गेंहू और चावल रात के समय में आता था जबकि सप्लाई सुबह के समय होती थी इस पूरे में मामले में डीएम संदेह के घेरे में आते नजर आ रहे थे और घबराहट के चलते उन्हें बार बार प्यास भी लग रही थी लेकिन खुद को बचाने व ठेकेदार को बचाने की वह बार बार कोषिष करते हुए नजर आ रहे थे जबकि गोदाम कीपर को भी इस मामले में बराबर का हकदार माना जा रहा था एसडीएम ने फिलहाल तीनों धर्मषलाओं में रखे गेंहू और चावल के हजारों बैगों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें सील कर दिया है और इस पूरे में मामले में वह कार्रवाई करने के लिए जा रहे है एसडीएम ने यह भी साफ कर दिया िकइस गेंहू और चावल को चोरी छीपे बेचा जाना था लेकिन सूचना मिलने के बाद अब इस पूरे मामले से पर्दा उठ गया 
गौरतलब है कि गेंहू से लदे हुए छह वाहन पहले जगाधरी के डीएसपी ने बरामद किए थे लेकिन तब भी डीएम ने अपने ठेकेदारेां को बचाने की वकालत की थी और तब भी सारा रिकार्ड ठेकेदार के पास से ही मिला था लेकिन इस बार भी गोदाम की मीमों ठेकेदार के पास ही थी और वह इस पूरे मामले में इलाके से दूरी बनाए रखा जहा तक कि ठेकेदार ने अपना फोन भी बंद कर दिया लेकिन जब बार बार डीएम सफाई देते हुए नजर आए तो एसडीएम ने धर्मषलाओ के कमरे में डब्ल लोक होने को लेकर डीएम को जमकर लताड लगाई औश्र इषरों ही इषारों में उन्हें कसूरवार भी ठहरा दिया 



Wednesday, 4 January 2012

बेस्ट सिटीजन आफ इंडिया अवार्ड से सम्मानि डॉ. मानसी अबोहरी CITY NEWS YNR



  बेस्ट सिटीजन आफ इंडिया अवार्ड से सम्मानित

                                              डॉ. मानसी अबोहरी
यमुनानगर। यदि लगन हो तो इंसान कोई भी मुकाम को हासिल कर सकता है ऐसी ही मनसा लिए जिला में अपन ेकाम के लिए जाने-जाने वाली डॉ. मानसी अबरोही है। जोकि कम उम्र में अब तक अलग-अगल संस्थानों से आठ आवार्डो से पहले ही सम्मानित की जा चुकी है। वहीं, इसी कड़ी के तहत मंगलवार को दिल्ली में बेस्ट सिटीजन आफ इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान वंचित बच्चों के कल्याण के लिए व दंत चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया है।  बतां दे की इंटरनेशनल पब्लिसिंग हाउस दिल्ली द्वारा बैस्ट सिटीजन आफ इडिया अवार्ड की सूची में समूचे भारतवर्ष से 50 लोगों का चयन किया गया। इसके अलावा इंटरनेशनल पब्लिशिंग द्वारा बैस्ट सिटीजन आफ इंडिया 2011 बुक भी जनवरी माह में प्रकाशित की गई है तथा पूरे हरियाणा में दो महिलाओं को ही ये सम्मान मिला है।
इसलिए मिला अवार्ड
डॉ. मानसी अबोहरी ने बताया कि यह अवार्ड 105 नि:शुल्क दंत चिकित्सा शिविर लगाकर 10,000 गरीब लोगों का नि:शुल्क इलाज करने व जिला में गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले बच्चों के विकास करने के लिए दिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले छह वर्षो से उनके द्वारा सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों के पूर्ण विकास के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं करवाना, प्रर्यावरण की सुरक्षा लड़की बचाओ कार्यक्रमों का आयोजन अंतराष्टÑीय महिला दिवस पर आरूषी व रूचिका के लिए कैंडल लाइट मार्च निकालने पर सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके डेंटल क्लीनिक द्वारा अबतक 560 से अधिक बच्चों को सम्मानित किया जा चुका है।
ये मिल चुके है आवार्ड
बतां दे की डॉ. मानसी को यह कोई पहला आवार्ड नही मिला है। इससे पहले भी उन्हे उत्कृष्ट कार्यो के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है। इसमें उसे बैचलर आॅफ डेंटल सर्जरी, 2008 में दीन बंधु छोटूराम थर्मल पावर कंपनी को बनाने वाली चीनी संस्था एचईपीईसी द्वारा, 2009 में डे केयर क्लब व सीनियर सिटीजन काऊंसिल द्वारा, 2009 में ही समाज सेवा में उत्कृष्ठ कार्यो के लिए, 2010 में आउट शैटिेंग वूमैन अचिवमेंट आवार्ड द्वारा, 2011 में उत्कृष्ठ कार्यों के लिए सेके्रटरी चिफ पार्लियामेंट के डॉ. शारदा राठौर द्वारा, 2011 में केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा सशक्तिकरण आवार्ड द्वारा तथा 2011 में ही तामिलनाडू के पूर्व गवर्नर नारायण सिंह व उड़ीसा के पूर्व गवर्नर सईद सीबती रजी ने राष्टÑीय गौरव अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

                 रिपोट  बे  विनोद  धीमान   सिटी न्यू ज    यमुना नगर 




Monday, 2 January 2012


  ‘सांई नाथ तेरे हजारों हाथ’
 नववर्ष के उपलक्ष्य  में सांई सभा की ओर से सांई बाबा की भजन संध्या का आयोजन किया गया।  भजन संध्या में बसंत जी द्वारा भजन संध्या के दौरान गाए गए भजनो ंपर एक बार श्रद्धालुओं को शिरड़ी जैसे महोल का अनुभव करा दिया। बसंत जी द्वारा गाए भजन ‘सांई नाथ तेरे हजारों हाथ’ ‘सांई नाम जपने से होगा बेडा पार’ ‘मेरे घर के आगे सांई राम-तेरा मंदिर बन जाए, जब खिड़की खोलू तो तेरे दर्शन हो जाए’ गाए भजनों पर लोगों ले झूम कर सांई की भक्ति को किया। और नये साल के अपने परिवार के लिए सुख-स्मृद्धि की कामना की। आखिर में सांई की पालकी को पूरे पंडाल में घूमाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को सांई बाबा के दर्शन करवाए गए। उसके उपरांत सभी ने बाबा के प्रसाद को लंगर के रूप में ग्रहण किया। यह प्रतिक्रिया सुबह भी जार रही। सुबह दशहराा ग्राउंड से सांई बाबा की पालकी की सवारी शुरू हुई, जिसमें लोगो ंने बढ़चढ भाग लिया। शहर में भी जगह-जगह पर भक्तों ने पालकी का स्वागत किया। पालकी की यात्रा दशहरा ग्राउंड से शुरू होकर परसराम चौंक, फव्वारा चौंक, प्यारा चौंक, मधु चौंक से होती माडल टाउन, नेहरू पार्क से होती हुई वापस दशहरा ग्राउंड में सम्पन्न हुई। इस मौके पर सौरभ, सुनील, हरीश, तरूण, राजू, चित्वन, दीपक, मधु, गौरव, स्वाति, विकास, जोजो, सचिन उपस्थित थे।




  जाम और भक्ति के साथ 2012 का आगाज

यमÞुनानगर। नववर्ष 2011! जुदा हो गया। यहां नववर्ष को लेकर जहां पुलिस महकमा मुश्तैद था। वहीं, देररात तक गली-महोल्ले तो दूर। होटलों में भी युवा पीढ़ी ने नववर्ष का आगाज मस्ती के साथ किया। हालांकि कुछ स्थानों पर भक्ति रस के साथ नववर्ष का स्वागत किया गया, लेकिन इनसब पर युवा की मस्ती भारी रही। रातभर शहर के होटलों में लोगों ने खूब जाम से जाम छलकाए। होटल संचालकों ने नए साल को लेकर होटलों का दूल्हन की तरह से सजाया हुआ था। साल 2011 को अलविदा कहने और 2012 का जश्न मनान के लिए युवा वर्ग में खासा उत्साह रहा।  जश्न के माहौल को कोई आपराधिक तत्व खराब न करे इसके लिए जिला पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए हुए थे। पुलिस प्रशासन की ओर से शहर के हर चौराहे पर पुलिसकर्मी तैनात किए हुए थे। होटलों के बाहर पुलिसकर्मी होटल मेंजाने वाले हर व्यक्ति पर निगाह रखे रहे। प्रत्येक व्यक्ति को चेकिंग के बाद ही होटलों में प्रवेश करने दिया जा रहा था। शहर के होटलों ेंमें नववर्ष की चल रही तैयारियों को देखते हुए संचालकों को हिदायतें दी गई थी कि वह कार्यक्रमों को देर रात तक नहीं चलने दें। साथ ही शराब का सेवन करने वालोें पर विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए थे। एसपी मितेश जैन ने आदेशानुसार शहर में सुरक्षा के लिए 13 पीसीआर व 10 बाइक राइडर, जगाधरी के लिए दो पीसीआर एवं दो राइडर एवं फर्कपुर के लिए दो पीसीआर एवं जीन राइडरों ने विशेष गश्त की। देररात तक वाहनों की चेकिंग का काम चलता रहा। सभी थाना प्रभारियों एवं चौंकी प्रभारियों को तालमेल बनाकर कार्यकरने के निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा होटलों में पुलिसकर्मी वर्दी व सादी वर्दी में तैनात किए हुए थे।
12 बजते ही हुई आतिशबाजी
रात के बारह बज रहे थे। घड़ी की सई दूसरें दिन का इंतजार कर रही थी। सर्द हवा भी आम इंसान को बाहर निकलने से रोक रही थी, ऐसे में रात के 12 बजते ही एकाएक सैंकड़ों लोगों का हजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा। कारण और मकसद सिर्फ और सिर्फ नववर्ष का स्वागत करना था। परंतु यहां पर यह लोग भूल गए कि इस नववर्ष के स्वागत के लिए इंतजार में नाजाने कितने लोग परेशान हो चुकेंगे होगें।
होटलों में रही एडवांस बुकिंग
नए साल के अवसर पर शहर के होटलों में एडवांस में बुकिंग होनी शुरू हो गई थी। बतां दे की नए साल को लेकर सफायर होटल, जेकी रेजींडेसी, दावत-ए-प्लाजा के संचालकों ने बताया कि नए साल का ेलेकर उनके यहां पर लोगों ने 15 दिन पहले ही एडवांस में बुकिंग करवानी शुरू कर दी थी। सफायर होटल के संचालक ने बताया कि नए साल को लेकर हर वर्ष होटल को सजाया जाता है लोगों की मनचाह के लिए डीजे आदि का प्रबंध किया गया था। होटलों में पहुुंचकर लोगों ने डीजे आदि पर खूब डांस किया।

 पेपर मिल ग्राउंड में गीता श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति के तत्वावधान में गीता मुनीषी श्रीज्ञानानंद महाराज जी के पावन सानिध्य में नए साल के आगाज पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें काफी संख्या में पहुंचे श्रद्धाुलाओं ने भक्तिमय भजनों पर झूमते हुए नए साल का स्वागत किया। देर रात तक चली भजन संध्या में सभी ने कृष्ण के भजनों को सूनकर भाव-विभौर होकर नए साल की शुरूआत धार्मिक अंदाज में की। वहीं भजन संध्या के उपरांत गीता मुनीषी श्रीज्ञानानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों से भगतों को भाव-विभौर किया।


 नववर्ष के आगाज की झलक शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित आदबद्री में भी दिखाई दी। जहां हजारों की संख्या में पहुंचकर लोगों ने मां मंत्रा देवी, मां सरस्वती व केदारनाथ के दर्शन कर पूरे साल के लिए सुख-स्मृद्घि की कामना की। यहां पहुंचे श्रद्धालुओ के लिए साईन बोर्ड ेकी ओर से भंडारे की व्यवस्था की गई। श्रद्धाुलओं ने पहुुंचकर प्रसाद को ग्रहण किया। नववर्ष के पहले ही दिन अलसुबह सरस्वती मां की अराधना करने के बाद धीरे-धीरे शहर के अलग-अलग कोने से लोग अपने परिवार व सगे संबंधियोें के साथ मां मंत्रा देवी व केदारनाथ व सरस्वती के  लिए आदबद्री स्थित मंदिर में पहुंचने लगे। यहां पर लगी लंबी कतारे जहां इस जगह को एक पिकनिक स्थल की तरह दिखाई दे रही थी। वहीं, लोगों ने नववर्ष की शुरूआत यहां पर पहुंचकर की। हर कोई धार्मिक स्थल की मान्यता को समझते हुए लाइन में लगकर मात्था टेककर परंपरा को निभाया।


                   विनोद धीमान  सिटी न्यूज़ युमना नगर