एड्स पसार रहा पांव
मरीजों में इजाफा, प्रयास धराशायी
वर्ष-2011 में मरीजों की संख्या 90
यमुनानगर। भारत की सांस्कृतिक व धार्मिक पृष्टभूमि पर एडस की काली छाया खूब मंडरा रही है। एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा व स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयास धराशायी हो रहे हैं। जिले में कुल एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की यदि बात की जाए तो संख्या सुनकर अचंभा होगा। जी हां, स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जिले में करीब 400 मरीज एचआईवी पॉजीटिव हैं। यहां बता देना जरूरी होगा कि गत पांच वर्षों में यदि सबसे अधिक मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है तो वर्ष-2011 में हुआ है।
यह माना जा रहा है मुख्य कारण
जिला यमुनानगर में प्लाइवुड व अन्य औद्योेगिक इकाईयां हजारों की संख्या में हैं। यहां न केवल स्थानीय बल्कि बल्कि बिहार, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, नेपाल, उत्तरांचल व अन्य पड़ोसी राज्यों से लाखों की संख्या में मजदूर कार्यरत हैं। अधिकांश लोगों में जागरूकता का अभाव है। इसके अतिरिक्त शहर में जिस्मफिरोशी का धंधा भी खूब फलफूल रहा है। सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ यहां आम बात हो चुकी है। धंधे के तार दिल्ली, बंबई व अन्य राज्यों से जुड़े हैं। ऐसे में एड्स जैसे रोग के विस्तारण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
इस प्रकार बढ़ आंकड़े
वर्ष मरीजों की संख्या
2007 29
2008 37
2009 40
2010 42
2011 में अब एचआईवी पॉजीटिव की संख्या 90 पर पहुंच गई।
सुविधाओं का अभाव
हालांकि बचाव ही एड्स का उपचार है, स्वास्थ्य विभाग में सुविधाओं की कमी भी है। विभाग द्वार ब्लाक स्तर पर एड्स परामर्श केंद्र बनाए हुए हैं, लेकिन परामर्श केंद्रों पर दवाईयां व स्पेशलिस्ट नहीं हैं। एंटी वायरल के लिए मरीज को चंड़ीगढ़ व रोहतक पीजीआई तक की दूरी तय करनी पड़ रही है।
विभाग कर रहा है प्रयास
एड्स की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न संगोष्ठियों व सेमीनारों के माध्यम से लोगों को जागरुक भी किया जाता है। एड्स परामर्श केंद्रों पर निशुल्क परामर्श की व्यवस्था है। केवल विभागीय प्रयासों से काम नहीं चलेगा बल्कि आमजन को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
डा. हुकम चंद
डिप्टी सीएमओ, यमुनानगर।
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