क,ख,ग नहीं सिख पाए 50 प्रतिशत
एससीईआरटी के सर्वे में हुआ खुल्लासा हरियाणा के 12 जिलों में हुआ था सर्वे
विनोद धीमान
जगाधरी वर्कशाप। मातृ भाषा। इसे सिखने के लिए किसी गुरू की जरूरत नहीं। बच्चा जन्म से ही अपने परिजनों व माता-पिता से इस भाषा को सिखता हैं। परंतु यहां पर जिले के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे अपनी मातृ भाषा भी अच्छी प्रकार से नहीं जानते। प्राइमरी स्कूलों के 50 प्रतिशत बच्चे हिंदी का ज्ञान ही नहीं रखते। स्टेट काउंसलिंग फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिग (एससीईआरटी) द्वारा प्रदेश में किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ हैं।
एससीईआरटी के द्वारा किए गए सर्वे से पता लगा कि जिले में 619 प्राइमरी स्कूल में 62 हजार 244 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। राष्टÑीय स्तर पर प्राइमरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों पर किए गए सर्वे में 50 फीसदी बच्चे हिंदी भाषा में कमजोर पाए गए। सर्वे के दौरान इक्ट्ठा किए गए सैंपल पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा राज्य के आधे बच्चों की हिंदी कच्ची है उन्हें शब्दावली और वाक्य सरंचना के अपेक्षित जानकारी नहीं है। सर्वे में शामिल प्रदेश के 88 फीसदी बच्चों को सर्वनाम का ज्ञान ही नहीं था। 30 फीसदी बच्चों की टेंशन उस समय बढ़ गई जब उनसे टेंस(काल)के बारे में पूछा गया। 73 फीसदी पैराग्राफ में शीर्षक नहीं खोज पाए। 66 फीसदी छात्र नोटिस से उसका घटनाक्रम का समय नहीं निकाल पाए। इन आंकड़ों से जाहिर है कि प्रदेश के बच्चों की हिंदी का वर्तमान काल बुरा है। हालांकि एससीईआरटी के विशेषज्ञों ने भविष्यकाल को बेहतर बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है।
इन जिलों में हुआ सर्वे
हरियाणा में एससीईआरटी के तहत जिन जिलों में सर्वे करवाया गया उनमें यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, सोनीपत, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, भिवानी, झज्जर, महेंद्रगढ, फरीदाबाद व पलवल समेत 12 जिलों में यह सर्वे करवाया गया है। इन जिलों में पांचवीं के कुल 239 स्कूल है उनमें 4889 छात्रों के बीच यह सर्वे किया गया। इनमें से 47 फीसदी लड़के व 53 फीसदी लड़कियां शामिल थी। 80 प्रतिशत ग्रामीण व 20 प्रतिशत शहरी इलाके के थे। सर्वे के दौरान बच्चों से हिंदी भाषा के विभिन्न शीर्षकों से संबंधित सवाल पूछे गए।
छात्रों की भाषा पर पकड़ अच्छी करने के लिए एससीईआरटी के विशेषज्ञों ने शिक्षकों को भाषा की बारिकी पर ध्यान देने के लिए जागरूक करने का फैसला कर लिया। अध्यापक संघ के प्रधान प्रदीप सरीन ने बताया कि छात्रों को हिंदी में पूरी तरह से समर्थ बनाने के लिए शिक्षकों को सक्रिय होना बेहद जरूरी है। शिक्षकों को भाषा की कमियां दूर करने के लिए कुछ बातोें पर अनिवार्य रूप से ध्यान देना होगा। उन्हें अपनी अध्यापन समक्षता में सुधार लाना होगा। छात्रों को स्वयं के मूल्यांकन और आकलन के लिए प्रेरित करना होगा। साथ ही बच्चों को इस तरह से पढ़ाना होगा। जिससे वह हर पंक्ति का अर्थ निकालने में सक्षम बन पाए। काल की जानकारी प्रायोगिक तौर पर कक्षाओें में बच्चों को दी जाएगी। वहीं इसे ओर शुद्ध बनाने के लिए हिंदी का एक पीरियड़ अलग से दिया जाए।
सर्वे के बाद जो कथ्य सामने आयाउसे देखते हुए जहां कमियां है वहां पर बच्चों को अलग से ग्रूप बनाकर अलग से शिक्षा देने की तैयारी कर दी गई है ताकि बच्चों की हिंदी में सुधार आ सके।
जगजीत कौर, डीईओ
No comments:
Post a Comment