खुद डिप्रेशन में कैसे कराएं पढ़ाई?
31 मार्च तक नौकरी करने के अल्टीमेटम
मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
फैसले को लेकर गेस्ट टीचर असमंजस में
विनोद धीमान
यमुनानगर। जिम्मा दिया गया देश के कर्णधारों की शिक्षा में निपुणता का। सात साल से इस कार्य को बखूबी अंजाम भी दिया जा रहा था। नाममात्र का रिजल्ट लेकर आने वाले स्कूलों में भी परिणाम की प्िरतशित मात्रा बढ़ गई थी। परंतु अब वार्षिक परीक्षाओं के नजदीक आने के समय पर ही सरकार द्वारा 31 मार्च तक गेस्ट टीचरों को कार्य करने का अल्टीमेट दिए जाने से गेस्ट टीचर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में वह बच्चों को किस प्रकार से पढ़ाई पूरी करा पाएंगे? यह अपने आप में ही एक बड़ा सवाल हैं। सरकार द्वारा गेस्ट टीचरों को 31 मार्च 2012 तक सेवाएं खत्म करने के फैसले संबंधी निर्देश को लेकर प्रदेश भर के गेस्ट टीचर मानसिक दवाब में काम कर रहे हैं। अकेले यमुनानगर जिले के 760 स्कूलों में 1175 गेस्ट टीचर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। ऐसे में कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर महज एक ही सरकारी अध्यापक है, जबकि शेष अध्यापकों के रूप में वहां पर गेस्ट टीचर ही तैनात हैं।
नौकरी बचाए या पढ़ाए
इस समय जब सभी विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारियो में जुटे है वहीं इन्हें पढ़ा रहे टीचर भी अपनी नौकरी को बचाने में जुटे है। हालांकि गेस्ट टीचर यूनियन की ओर से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है। वह तो जब फैसला होगा तब की बात है?े पर आज की वर्तमान स्थिति में सरकार द्वारा दिए गए इस निर्देश का सीधा असर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों वह टीचर पर पढ़ रहा है।
यूं बनी थी योजना
शिक्षा के गिरते स्तर को देखते हुए व शिक्षा प्रणाली को प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों मे भी अच्छी शिक्षा मिले और बच्चों को रूझान इस ओर बढ़े इसके चलते सरकार ने डीईओ कार्यालय की ओर से 2004 में गेस्ट टीचर के नाम से एक नया पद बनाकर इन्हें लगाया गया था। जिसके चलते शिक्षा स्तर भी बढ़ा और कई स्कूल जिले में ऐसे है जिनमें सरकारी टीचरों की संख्या कम होने से इनकी संख्या ज्यादा है। ऐसे में यदि इन्हें एकदम से निकाल दिया जाता है तो बच्चों की होने वाली फाइनल परीक्षाओं का क्या होगा?
जिले में गेस्ट टीचरों का ब्यौरा
बतां दे की 2004 में हरियाणा सरकार ने प्रदेश भर में 17946 गेस्ट टीचरों की भर्ती की थी। इसमें यमुनानगर जिले में 1175 गेस्ट टीचर लगाए गए थे। जिन्हें जिले के छह ब्लॉक में नियुक्त किया गया था। था। इसमें मुस्तफाबाद में 147, जगाधरी में 146, छछरौली मेंं 402, सढ़ौरा में 111, रादौर में 145, बिलासपुर में 224 गेस्ट टीचर तैनात किए गए थे।
इन स्कूलों में अधिक संख्या
जिले के कई स्कूलों में सरकारी टीचरों की संख्या कम होने के कारण कई स्कूल ऐसे है जहां पर गेस्ट टीचर ही स्कूलों का संभाल रहे है। इनमें खिदराबाद में 16, तिगरा में चार, कामीमाजरा में दो, रामपुरा में एक, भटौली में आठ, सारण में आठ, कलावड़ में सात, हैबतपुर में चार स्कूल शामिल है।
वैसे तो हमें कोर्ट के फैसले पर विश्वास है जो भी निर्णय होगा ठीक होगा। बाकी सरकार को चाहिए की जो गेस्ट टीचर पिछले कई सालों से स्कूलों में पढ़ा रहे है काबलियत के आधार पर उन्हें वहीं पर लगा दिया जाए।
श्याम कुमार, कोषाध्यक्ष, हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ।
इस मामले के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। यह मामला सरकार का है। सरकार क्या चाहती है यह तो वहीं जाने। गेस्ट टीचरों को हटाए जाने पर कहीं न कहीं बच्चों की पढ़ाई पर कुछ फर्क पर पड़ेगा ही।
नवीन जोशी, डिप्टी डीईओ।
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