Saturday, 24 December 2011

फूलों की खेती भरेगी झोली CITY NEWS YNR



   फूलों की खेती भरेगी झोली

बाजार में मांग व बढ़े दाम तो किसानों का भी बढ़ रहा रूझान
विनोद धीमान
जगाधरी वर्कशाप। सब्जियों के गिरते दाम से हताश हुए किसान अब अन्य विकल्प तराशते दिखाई दे रहे है। ऐसे में बाजार में बढ़े फूलों के दाम व लोगों में फूलों के उपहार देने के ट्रेंड के चलते फूलों की खेती बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। जिसके लिए बुनियादी स्तर पर विभाग के जरिए भरपूर प्रोत्साहन मिले तो फिर किसानों का इसके प्रति रूझान बढ़ना लाजमयी है।
गौरतलब है कि सब्जियों के दामों में पिछले कुछ समय में आई गिरावट से जहां किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था, तो अब इससे उभरने के लिए  जिले के किसान फूलों की खेती में किस्मत अजमाते दिखाई दे रहे है। बाजार में मौजूदा समय मैरिज सीजन व नए साल और अन्य त्यौहारों पर फूलों के  बारहमासी कारोबार के चलते किसानों का फूलों की खेती में रूझान बढ़ने लगा है। इसके लिए जहां विभाग की ओर से किसानों को हर तरह से निशुल्क परामर्श व ट्रेनिंग मुहैया करवाई जाना भी किसानों को अपने खेतों में फूलों की महक बिखेरने के लिए प्रोतसाहित करता दिखाई दे रहा है। ऐसे में चाहे विवाह समारोह हो या फिर अन्य कार्यक्रम फूलों को उपहार में देने का चलन किसानों की झोली भरने लगा है।
निशुल्क ट्रेनिंग व बीज उपलब्ध
फूलों की खेती के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यान विभाग की ओर से जहां जिला स्तर पर विभाग के जरिए कार्यालय में हर तरह के उचित परामर्श के साथ निशुल्क बीज वितरण की सुविधा मुहैया कराई जाती है, तो साथ ही ऐसे किसान जो फूलों की खेती करने में अधिक रूचि रखते है उन्हें जिला करनाल में निशुल्क ट्रेनिंग का भी प्रावधान है। जिसमें प्रदेश भर से फूलों की खेती के ऊपर अनुभवी कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को खेती के हर पहलु को विस्तार से बताया जाता है।
यूं भर रही अपनी झोली
यदि गंदे व ग्लेडियस की ही बात करें तो कोई भी किसान यदि साल में एक बार इसे खेत में लगाए तो इससे चार बार फसल मिल सकेगी। वहीं इसके लिए विभाग की ओर से बीच भी निशुल्क ही मुहैया हो जाते है। ऐसे में केवल रख-रखाव कर ही किसान हजारों रूपए का लाभ कमा सकते है। बाजार में यदि ग्लेडियस की बात करे तो बुके बनान, विवाह आदि समारोह पर कार व अन्य साज-सजों के लिए प्रयोग की जाने वाली इसकी प्रति स्टीक पांच से सात रूपए में उपलब्ध है। यदि बात करे तो एक विवाह के आयोजन में ही साज-सजो के लिए ऐसी 400-500 स्टीक इस्तैमाल हो जाती है। यानि 2500 से 3000 तक  का खर्च, ऐसे में किसान अपने द्वारा उगाई गई ग्लेडियस को बाजार में बेचकर निश्चित होकर निर्धारित दाम लेता है तो बाजार में विक्रेता भी इस कारोबार से चांदी कुटते दिखाई दे रहे है। इसी प्रकार गेंदे के फूल भी 20 से 25 रूपए किलों., गुलाब के प्रति फूल के लिए 15 से 20 रूपए देने पड़ते है।
फूलों की खेती आ रही रास
साढौरा निवासी किसान भूपेश कुमार ने बताया कि पहले वह सब्जियों की खेती करता था, किंतु हर बार अधिक मात्रा में सब्जी हो जाने के कारण उन्हें वह लाभ नहीं मिल पाता था। पिछले दो वर्ष से जब से फूलों की खेती शुरू की है तो इसमें उन्हें पहले से अच्छा मुनाफा होने लगा है और इस ओर अधिक कंपीटिशन न होने के कारण व फूलों के प्रति लोगों का बढ़ता रूझान व बाजार में अधिक मांग व मिल रहे वाजिब दाम मिलने से उन्हें यह खेती खूब रास आ रही है।
लक्ष्य है निर्धारित कर किया जा रहा प्रोत्साहित
किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है, इस वर्ष सरकार की ओर से जहां गेंदे के लिए 2 एकड़ का लक्ष्य है तो वहीं ग्लेडियस के लिए 3 एकड का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं अन्य फूलों के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए निशुल्क ट्रेनिंग व बीज वितरण किया जाता है।
डॉ. ईलम चंद सैनी, जिला उद्यान अधिकारी।


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