स्टीवियां करे यूज होगी शुगर दूर
स्टीविया की चाय में नहीं मिठा डालने की जरूरत
डाक्टरों ने भी बतालाभदादकया
विनोद धीमान
जगाधरी वर्कशाप। चाहे दूर करना हो शूगर या फिर मोटापा या आ रही हो कैलोरी की दिक्कत तीनों मर्ज में स्टीविया का करेंगे यूज तो होगा लाभ भरपूर। कुछ यहीं कहना है आयुर्वेद चिकित्सकों का, उनकी माने तो यदि रोजाना स्टीविया के चार पत्तों का चायपत्ति के रूप में सेवन किया जाए तो यह रामबाण की तरह साबित होगा।
मौजूदा समय में शुगर, मोटापा, कैलोरी आदि रोग आम हो चुके है, रोगियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। रोग से निजात पाने को पीड़ित लोग उपचार के लिए अंग्रेजी दवाओं का सहारा ले रहे है, तो दूसरी ओर कई तरह के परहेज कर राहत पाने के प्रयास करते है। किंतु अयुर्वेद में तीनों मर्ज के हरबल प्लांट स्टीविया पौधे का उल्लेख किया गया है, जिस पर आयुर्वेद चिकित्सकों को अभी भी विश्वास कायम है। उनकी माने तो स्टीविया साइट नाम का एक रसायन होता है, जोकि चीनी से तीन सौ गुना अधिक मीठा होता है, इसे पचाने से शरीर में एंजाइम नहीं होता और न ही ग्लूकोस की मात्रा बढ़ती है।
मिठास को तरसने की जरूरत नहीं
अक्सर डाक्टर शुगर के मरीजों से चीनी के सेवन न करने की हिदायद देते है। ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित काफी समय के लिए मिठास को तरस जाते है। किंतु शुगर के मरीज स्टीविया में चीनी से अधिक मिठास होने के चलते मीठास को तरसेंगे भी नहीं और इसके लगातार सेवन से शुगर पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
है कई नामों से जाना जाता
वैसे स्टीवियां मूल रूप से जापान का पौधा माना गया है किंतु जैसे-जैसे इसकी खुबियों बारे पता चलता गया। वैसे ही वैसे इसकी व्यवसायिक खेती को बढ़ावा मिला ओर पेरूग्वे, कोरिया, ताईवान अमेरिका तथा दक्षिण ऐशियाई देशों में भी इसको अपनाया गया। वहीं भारतवर्ष में भी कई राज्यों में इसकी खेती प्रारंभ हो चुकी है। जापान से शुरू हुई इसकी खेते के चलते इसके लिए स्टीविया नाम अधिक प्रचलित है, इसके अलावा भारत में इसको मीठी तुलसी के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा मधु पत्र अथवा हनी प्लांट जैसे कई नामों से भी इसके लिए प्रयुक्त होते है।
मोटापा होगा दूर
आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार स्टीविया से शुगर के अलावा मोटापे से भी निजात पाई जा सकती है। मोटापे के शिकार व्यक्तियों के लिए भी यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं है। शुगर ही मोटापे का कारण बनती दिखाई दे रही है, यदि शुगर न भी हो और इसका सेवन किया जाए तो न ही शुगर होने की नोबत बन पाएगी और न ही मोटापा होगा।
न बढेÞगी कैलोरी
आज कैलोरी की प्रोबलम भी काफी बढने लगी है ऐसे में भले ही स्टीविया चीनी से अधिक मीठा हो किंतु इसमें ग्लूकोस की मात्रा न होने के चलते इससे कैलोरी के अनियंत्रित होने की संभावना नहीं रहती। यही कारण है कि स्टीविया का मौजूदा समय में कई शुगर फ्री पदार्थो को बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाने लगा है।
ये है खासियत
स्टीविया में शुगर, मोटापा, कैलोरी को दूर करने के अलावा कई खूबियों का वर्णन आयुर्वेद में मिलता है। जिसमें मुताबिक:-
- शक्कर से 25 गुना ज्यादा मीठा परंतु शक्कर रहित है।
- 15 आवश्यक खनीजों तथा विटामिन्स होते है।
- पूर्णतया कैलोरी शून्य उत्पाद।
- इसे पकाया जा सकता है आर्थात इसे चाय, काफी, दूध आदि के साथ उबालकर भी प्रयोग किया जा सकता है।
- मधुमेय रोगियों के लिए उपयुक्त है क्योकि यह पेनक्रियाज की बीटा कोशिकाओं पर अपना प्रभाव डालकर उन्हें इन्सुलिन तैयार करने में मदद करता है।
- दांतो की केवेटीज, बैक्टीरिया, सड़न आदि को भी रोकता है।
- ब्लड प्रेशर में नियंत्रित करता है।
- इसमें एंटी एजिंग, एंटी डैंड्रफ जैसे गुण पाये जाता है तथा नॉन फर्मन्टेबल होता है।
स्टीविया के सेवन से नहीं बढ़ता ग्लूकोस
अमुमन, शुगर के मरीज का मीठा खाने से ग्लूकोस बढ़ता है, इसी कारण उसे तकलीफ होती है। ऐसे में यदि वह मीठे के स्थान पर स्टीविया का सेवन करता है, तो इसमें ग्लूकोस की मात्रा नहीं होती और साथ ही यह मीठे का काम भी करता है। ऐसे में इसका सेवन शुगर के रोगियों के लिए लाभकारी साबित होता है।
डा. सतपाल बहमनी, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी।
किसानों को पूरा सहयोग
सरकार की ओर से भी इसकी खेती करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। जिससे कई किसान लाभ भी उठा रहे है, यदि इसकी खेती संबंधित कोई भी जानकारी जरूत पड़ती है तो विभाग की ओर से किसानों का पूरा सहयोग करते है।
ईलमचंद सैनी, जिला उद्यान अधिकारी।
No comments:
Post a Comment