Friday 19 July 2024

ना हिंदू बुरा है ना, मुसलमान बुरा है जो इंसान को इंसान से लड़ाई वह इंसान बुरा है।

संवाददाताओं से बात करते हुए मकतबा दाउदीया सोसायटी के संस्थापक एवं समाजसेवी, कांग्रेसी नेता मोहम्मद वसीम दाउदी बताया कि आजकल सोशल मीडिया हैंडल पर न्यूज़ चैनलों पर एक नेता द्वारा दिया गया फरमान की फल फ्रूट बेचने वाले मुस्लिम लोग अपनी रेढ़ीयो पर पर अपना नाम लिखे  बहुत वायरल हो रहा है इस पर मैं यही कहना चाहूंगा जो इंसान जैसा खुद होता है ऐसा ही वह दूसरे को मानता है मेरे देश की सुंदरता यह है कि मेरा देश धर्मनिरपेक्ष देश है और इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई भिन्न-भिन्न तरह के फूल आपस में मिलकर भारत रूपी गुलदस्ता की तरह एक शोभा बढ़ा रहे हैं ।
लेकिन कुछ निगेटिव लोग इसमें जहर घोलने का काम करते हैं लेकिन वह कभी भी कामयाब ना तो हुए हैं ना होंगे और मैं उनसे एक बात जरुर कहना चाहूंगा चाहे कोई भी हो चाहे हिंदू हो, चाहे मुसलमान हो जो नेगेटिव सोच के हैं जब उनको ब्लड की जरूरत पड़ती है या फिर किसी ऑर्गन की जरूरत पड़ती है तब तब उनको हिंदू मुसलमान क्यों नहीं नजर आता जब इलाज करने जाते हैं तब डॉक्टर से यह क्यों नहीं पूछते कि आप हिंदू हो या मुसलमान हो उस वक्त तो सिर्फ एक ही रहती है कि मुझे ठीक कर दो मैंने एक शायराना अंदाज में एक बात कही है की कोई जैसा भी करेगा ऐसा ही भरेगा उसमें चाहे हिंदू हो चाहे मुसलमान हो जो इंसान कांटे के बीज बोएगा वह खेती भी कांटो की ही कटेगा अगर वह दुनिया से चला भी गया तो आने वाली उसकी नस्ल उन कांटों की जिनके बीज उसने बोए थे वही काटेंगे अगर कोई इंसान फूलों के बीज बोएगा तो वह फूलों की ही खेती कटेगा अगर वह ना कटे उसकी नस्ले काटेगी पर काटेंगे जरूर इसलिए आप सब से गुजारिश है अच्छे कर्म करो कोई देखे ना देखे रब भगवान अल्लाह वह देख रहा है अपनी राजनीति के लिए या अपने फायदे के लिए समाज को देश_प्रदेश को नेगेटिव बातों पर अमल करने के लिए ना कहे मेरी देश की सुंदरता को बनाए रखें हमेशा देश को विकसित करने की बात करें भाईचारे की बात करें मोहब्बत की बात करें मेरा देश मोहब्बत का देश है - और यह नफ़रत को बार-बार हरा देता है और इंशाल्लाह हारता रहेगा हम सब देशवासियों की एक ही सोच रहनी चाहिए जो आज तक रही है
नफ़रत का बाज़ार मत लगाइए, सेब अब्दुल बेचे या अनिल बस मीठा होना चाहिए!
इंसान के अंदर इंसानियत होनी चाहिए चाहे वह  हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो, या इसाई हो वह सबसे अच्छा है वह दोस्ती के काबिल है और अगर इंसान हिंदू बना मुसलमान बना सिख बना इसाई बना और उसके अंदर इंसानियत नाम की चीज नहीं मोहब्बत नाम की चीज नहीं तो वह इंसान ना तो दोस्ती के काबिल है और ना ही समाज की उसका काम सिर्फ और सिर्फ जहर खोलने का है लोगों के बीच में ऐसे लोगों से खुद भी बचना चाहिए और समाज को भी बचना चाहिए मैं तो यही गुजारिश यही अपील करूंगा और नेगेटिव और इस तरह के लोग कितना भी ज़ोर लगाइए, जीत तो मोहब्बत की ही होगी! और जो होती आई है मेरा देश मोहब्बत मोहब्बत को पसंद करता है और सभी धर्मों का सभी दींन का निचोड़ भी यही है मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत

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