Tuesday, 6 August 2024

मेरे दीन मैं सबसे पसंदीदा अमल अच्छे अखलाक और मोहब्बत को फैलाना मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत--- मोहम्मद वसीम दाउदी

मेरे आका का फिर करम हो गया हो गया मैं मदीने चला दोस्तों इंशाल्लाह 17/08/2024 को

गुस्से की बात पर जिसे गुस्सा ना आए वह गधा और मनाने से भी जो ना माने वह शैतान 

यमुनानगर। मकतबा दाउदी या सोसायटी के संस्थापक एवं समाजसेवी मोहम्मद वसीम दाउदी की कलम से दोस्तों फिर करम हो गया मैं मदीने चला यह सब कुछ जो कुछ मुझे मिल रहा है और मिला है मेरे रब के फजल से और मेरे शेख की तवज्जो से मेरे मां-बाप और आप सब की दुआओं से मिला है इसको ऐसे ही बना कर रखना यही मेरा हौसला है यही मेरी हिम्मत है यही मेरी ताकत है वरना मेरी क्या मजाल में कोई काम कर सकूं आज कुछ बातें अपने दिल की आप सबके पेशे खिदमत कर रहा हूं इसको मेरा माफी  नामा समझे क्योंकि मैं भी इंसान हूं आप भी इंसान हो और इंसान से ही गलतियां होती है फरिश्ते हम नहीं हैं। 
अगर मैंने किसी भी रिश्तेदार का, दोस्त का, किसी भाई का जाने में अनजाने में ना हक दिल दुखाया हो तो अल्लाह के वास्ते मुझे माफ कर देना इंशाल्लाह 17 अगस्त को आप सब की दुआओं से अपने रब के फजल से मदीना मक्का का सफर करने जा रहा हूं अल्लाह अपने फजल से इसको कबूल फरमाए अगर इस माफ़ी नामें को भी कोई भी भाई मेरा नहीं मानता और वह यह चाहता है की वसीम ने मेरा ना हक दिल दुखाया है वह सामने से आकर माफी मांगे इंशाल्लाह मैं उसके लिए भी तैयार हूं मैं अपना मोबाइल नंबर आप सब से शेयर कर रहा हूं आप फोन कर सकते हो 9813765433 इंशाल्लाह मैं तैयार रहूंगा शर्त इतनी है बात नाहक ना हो और इंशाल्लाह हक बात करता आया हो करता राहोगा आप सब की दुआ ओ से जो मैंने अपने बड़ों से सीखी है और इंशाल्लाह मरते दम तक उसे पर अमल करता रहूंगा मैंने एक बात लिखी है कि गुस्से की बात पर अगर गुस्सा ना आए वह गधा और मानने से भी ना  माने वह शैतान यह बात खाली पढ़ने में नहीं है सच भी है और हकीकत भी है आज हम सबको खास तौर से मुझे भी सभी रिश्तेदारों को भी दोस्तों को भी दीन का हर काम करना आसान है सदका देना आसान, नमाज पढ़ना आसान, जमात में जाना आसान, आसान इसलिए की तशकील करने पर हम तैयार हो जाते हैं  अल्लाह अल्लाह करना आसान लेकिन अगर किसी को कहें भाई-भाई लडे हुए हैं रिश्तेदार लडे हुए हैं की अल्लाह के वास्ते उसको माफ कर दे और सुलहा कर ले यह काम दीन का सबसे मुश्किल हो गया ना जी मैं तो नहीं मानता और यह कह देते हैं हमारे बीच में आप मत बढ़ो यह हमारा आपस का मामला है अरे भाइयों यह भी दीन का एक पहलू है आपस में सुलहा  करवाना मेरे भाइयों मेरे दोस्तों मेरे रिश्तेदारों मेरे पड़ोसियों एक सेकंड का जिंदगी का भरोसा नहीं और हम सारी जिंदगी जीने की आस लगाए बैठे हैं मरने से पहले पहले किसी से भी नाराज हो इसको माफ कर कर सोया करो इंशाल्लाह अल्लाह तुम्हें माफ कर देगा  हम सब रब के बंदे और उस नबी के उम्मती है जिसने हमेशा हम सबको मोहब्बत से रहने का पैगाम दिया  हदीस का मफूम है जब मेरे नबी ने ज्यादा नमाजे पड़ी ज्यादा इबादत की तभी फरिश्ते आए और नबी को कहा अल्लाह ने हुकुम दिया है आपके पैर नमाज पढ़कर वरम आ गया है ऐसे ही बहुत सारी इबादत थी कभी कम की कभी ज्यादा करने को कहा लेकिन जब अखलाक पेश किए  मेरे नबी ने तो अल्लाह ने कहा और ज्यादा करो और  ज्यादा अखलाक वाला अमल करो यह हम सबके लिए सबक है और हम सब फॉलोअर  तो अपने नबी के ही हैं आज से मैं भी और आप भी इस पर ज्यादा से ज्यादा अमल करें और आपस में ज्यादा से ज्यादा मोहब्बत से पेश आए यही मेरी गुजारिश है और मेरे लिए खास तौर से दुआए करें और एक बात कहना चाहूंगा आप सबसे अपने पीर भाइयों से भी अपने दोस्तों से भी अपने रिश्तेदारों से भी मेरी गलती मुझे कहें क्योंकि सुधरना मुझे है ना किसी दूसरे को कहें इससे इंशाल्लाह मेरा फायदा होगा और मैं उसे सुधारने की पुरजोर कोशिश करूंगा या फिर मेरे मां-बाप को या मेरे शेख को बताएं वह मुझे सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे

No comments:

Post a Comment